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Saturday, 17 December 2016

Constitution Day 2016/Samvidhan Divas 2016

Constitution day 2016 would be celebrated at Saturday, on 26th of November.
Constitution Day (Samvidhan Divas) in India
Constitution Day in India is celebrated every year on 26th of November as the constitution of India was adopted by the Constituent Assembly on 26th of November in the year 1949 and came into force on 26th of January in 1950. Dr. Ambedkar is the Father of Constitution of India. After the independence of India Dr. Ambedkar was invited by the Congress government to serve as a first law minister of the India. He was appointed as the Constitution Drafting Committee’s Chairman on 29th of August.He was the chief architect of the Indian constitution and known for the strong and united India.

When the constitution of India was adopted, the citizens of India were entered to a new constitutional, scientific, self-governing and modern India with the peace, poise and progress. The constitution of India is very unique all over the world and has taken around 2 years, 11 months and 17 days to pass by the Constituent Assembly.Indian constitution was first described by the Granville Austin to achieve the social revolution. The ever lasting contribution of the Babasaheb Ambedkar towards the Indian constitution helps a lot to all the citizens of India. The constitution of Indian was adopted to constitute the country as an independent, communist, secular, autonomous and republic to secure the Indian citizens by the justice, equality, liberty and union.
Some of the following characteristics of the Indian constitution are:
  • It is written and broad
  • It has the democratic government – Elected Members
  • Fundamental rights
  • Liberty of judiciary, travel, live, speech, religion, education
  • Single Nationality
  • Indian constitution is both flexible and non-flexible
  • Obliteration of caste system at the National level
  • Common civil code and official languages
  • Center is similar to a Buddhist ‘Ganrajya’
  • Impact of Buddha and Buddhist rituals
  • Since the Indian constitution came into act, the females in India got right to vote.
  • Various countries all over the world have followed the Indian Constitution.
  • One of the neighbor countries, Bhutan has also accepted the Indian Democratic system.
Why Do We Celebrate Constitution Day

Constitution Day or Samvidhan Divas in India is an officially celebrating event which is celebrated every year on 26th of November to honor and remember the father of Constitution, Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar. People in India remember their history and celebrate independence and peace every year after launching the own constitution of India.

या पेज वरील सर्व माहिती गुगल वरून एकत्र केलेली आहे कृपया याची नोंद घ्यावी 
संविधान दिवस


भारत में 26 नवम्बर को हर साल संविधान दिवस मनाया जाता है, क्योंकि वर्ष 1949 में 26 नवम्बर को संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को स्वीकृत किया गया था जो 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया। डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के संविधान का जनक कहा जाता है। भारत की आजादी के बाद काग्रेस सरकार ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के प्रथम कानून मंत्री के रुप में सेवा करने का निमंत्रण दिया। उन्हें 29 अगस्त को संविधान की प्रारुप समिति का अध्यक्ष बनाया गया। वह भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे और उन्हें मजबूत और एकजुट भारत के लिए जाना जाता है।

जब भारत के संविधान को अपनाया गया था तब भारत के नागरिकों ने शांति, शिष्टता और प्रगति के साथ एक नए संवैधानिक, वैज्ञानिक, स्वराज्य और आधुनिक भारत में प्रवेश किया था। भारत का संविधान पूरी दुनिया में बहुत अनोखा है और संविधान सभा द्वारा पारित करने में लगभग 2 साल, 11 महीने और 17 दिन का समय ले लिया गया।भारतीय संविधान का पहला वर्णन ग्रानविले ऑस्टिन ने सामाजिक क्रांति को प्राप्त करने के लिये बताया था। भारतीय संविधान के प्रति बाबा साहेब अम्बेडकर का स्थायी योगदान भारत के सभी नागरिकों के लिए एक बहुत मददगार है। भारतीय संविधान देश को एक स्वतंत्र कम्युनिस्ट, धर्मनिरपेक्ष स्वायत्त और गणतंत्र भारतीय नागरिकों को सुरक्षित करने के लिए, न्याय, समानता, स्वतंत्रता और संघ के रूप में गठन करने के लिए अपनाया गया था।
भारतीय संविधान की विशेषताओं में से कुछ निम्नलिखित हैं:
  • यह लिखित और विस्तृत है।
  • यह लोकतांत्रिक सरकार है - निर्वाचित सदस्य।
  • मौलिक अधिकार,
  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता, यात्रा, रहने, भाषण, धर्म, शिक्षा आदि की स्वतंत्रता,
  • एकल राष्ट्रीयता,
  • भारतीय संविधान लचीला और गैर लचीला दोनों है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर जाति व्यवस्था का उन्मूलन।
  • समान नागरिक संहिता और आधिकारिक भाषाएं,
  • केंद्र एक बौद्ध 'Ganrajya' के समान है,
  • बुद्ध और बौद्ध अनुष्ठान का प्रभाव,
  • भारतीय संविधान अधिनियम में आने के बाद, भारत में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला है।
  • दुनिया भर में विभिन्न देशों ने भारतीय संविधान को अपनाया है।
  • पड़ोसी देशों में से एक भूटान ने भी भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली को स्वीकार कर लिया है।

हम संविधान दिवस को क्यों मनाते है

भारत में संविधान दिवस 26 नवंबर को हर साल सरकारी तौर पर मनाया जाने वाला कार्यक्रम है जो संविधान के जनक डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर को याद और सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। भारत के लोग अपना संविधान शुरू करने के बाद अपना इतिहास, स्वतंत्रता, स्वतंत्रता और शांति का जश्न मनाते है।


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हिंदी भाषण :

आने वाली 26 जनवरी ‘संविधान दिवस’ पर बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित:

सब बाधाओ को लाँगकर जब बाबा साहेब संविधान सभा का सदस्यता चुनाव जीत गये तब उनकी प्रतिभा को देखकर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर को बताया कि उन्हें संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्‍यक्ष बनाया गया है और कहा कि संविधान बहुत आसान व अच्‍छा बने तब डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर ने कहा ”आपकी आज्ञा का पालन होगा, राष्‍ट्रपति महोदय” !
संविधान निर्मात्री समिति में सात सदस्‍य थे । उनमें से अचानक एक की मृत्‍यु हो गई । एक सदस्‍य अमेरिका में जाकर रहने लगे और एक सदस्‍य ऐसे जिनको सरकारी काम काज से ही अवकाश नहीं मिल पाया था । इनके अतिरिक्‍त दो सदस्‍य ऐसे थे जो अपना स्‍वास्‍थय ठीक न रहने के कारण वे सदा दिल्‍ली से बाहर रहते थे । इस प्रकार संविधान निर्मात्री समिति के पाँच ऐसे थे जो समिति के कार्यों में सहयोग नहीं दे पाये थे ।
डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर ही एक ऐसे सदस्‍य थे, जिन्‍होंने अपने कंधों पर ही संविधान निर्माण का कार्यभार संभाला था । जब संविधान बन गया तब एक-एक प्रति डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद एवं पंडित जवाहर लाल नेहरू को दी । उन्‍हें संविधान, सरल अच्‍छा लगा । सभी लोग डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर की तारीफ करने लगे व बधाईयाँ दी गई । एक सभा का आयोजन किया गया । जिसमें डा. राजेन्‍द्र प्रसाद ने कहा- ”डा. भीमराव अम्‍बेडकर अस्‍वस्‍थ थे, फिर भी बड़ी लगन, मन व मेहनत से काम किया । वे सचमुच बधाई के पात्र हैं । ऐसा संविधान शायद दूसरा कोई नहीं बना पाता, हम इनके आभारी रहेंगे ।”
पंडित नेहरू ने अपने भाषण में काहा ”डा. भीमराव अम्‍बेडकर संविधान के शिल्‍पकार हैं, नया संविधान इनकी देन है । इतिहास में इनका नाम स्‍वर्ण-अक्षरों में लिखा जावेगा । वे महापुरूष हैं । जब तक भारत का नाम रहेगा, तब तक अम्‍बेडकर का नाम भी भारतीय संविधान में हमेशा जुड़ा रहेगा ।”
26 जनवरी सन् 1950 के दिन यह नया संविधान भारतीय जनता पर लागू किया गया । उस दिन गणतंत्र दिवस का समारोह मनाया गया । वही संविधान आज भी लागू है ।
संविधान निर्माण की झलकिया :
1. संविधान प्रारूप समिति की बैठकें 114 दिन तक चली ।
2. संविधान निर्माण में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा ।
3. संविधान निर्माण कार्य पर कुल 63 लाख 96 हजार 729 रूपये का खर्च आया ।
4. संविधान के निर्माण कार्य में कुल 7635 सूचनाओं पर चर्चा की गई ।
5. 26 जनवरी 1950 केा भारत का संविधान लागू होने के बाद से अब तक हुए अनेक संशोधनों के बाद भारतीय संविधान में 440 से भी अधिक अनुच्‍छेद व 12 प्रविशिष्‍ट हो चुके हैं ।
” तेरी जय हो भीम महान, बना दिया भारत का संविधान । ”
भारत का संविधान 26Nov 1949 में स्वीकार किया गया। संविधान के मायने क्या होते है, शायद उस समय भारत के लोगो को यह पता नहीं था। लेकिन दुनिया में संविधान का महत्व स्थापित हो चुका था। अमेरिका में 1779 में संविधान बन चुका था। हालांकि UK में उस तरह का संविधान नहीं है लेकिन वंहा MAGNA CARTA जैसी संवैधानिक अधिकारों की व्यवस्था कायम हो चुकी थी जिसके तहत राजा ने अपनी जनता की साथ अपने अधिकारों को बाट लिया था। वंहा अब तक इसी तरह कई settlement से बनी व्यवस्था कायम है और 15 जून 2015 को उसके (MAGNA CARTA) के 800साल होने वाले है।
संविधान असल में समूह में बंटे लोग जो राष्ट्र बनना चाहते है, को मानवीय अथिकार दिलाता है।इसके तहत लोगो के लिए स्वतंत्रता ,बंधुता ,समानता और न्याय के लिए व्यवस्था का निर्माण किया जाता है। यह सभी मनुष्यों को समान अधिकार भी देता है और इनके बीच भेदभाव को अपराध भी घोषित करता है।
1950 के बाद विश्व के लगभग ५० देशो ने अपना संविधान बनाया जिसमे भारत उनमे से पहले स्थान पर है और भारत का संविधान ही अन्य देशो के लिए प्रेरणा बना।हालांकि यंहा यह भी साफ़ कर देना होगा कि भारत की “आज़ादी का आन्दोलन” और ” भारत के संविधान” का आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है , दोनों ही अलग अलग घटनाएं है। जब सन१९२८ में simon commission भारत आया तो उस समय constitutional settlement की बात उठी। अंग्रेजो ने यह तय करना जरूरी समझा कि भारत कोब्सत्ता के हस्तांतरण के बाद भारत में लोकतान्त्रिक व्यवस्था ही लागू हो और इस पूरी प्रक्रिया में बाबा साहेब डॉ आंबेडकर की भूमिका प्रमुख रही।अगर हम बाबा. साहेब के सम्पूर्ण जीवन को देखे तो यह साफ़ हो जाएगा कि वे कोंस्टीटूशनल सेटलमेंट को लेकर कितने गंभीर थे। उनका मानना था कि देश मे सामाजिक क्रांति तभी स्थाई होगी जब संवैधानिक गारंटी होगी। वह संविधान के जरिये देश में समानता स्थापित करना चाहते थे। वह चाहते थे भारत में असमानता ख़त्म हो और समानता आये और लोगो को उनका fundamental right मिले। संवैधनिक तौर पर भारत में जाति और वर्णजैसी व्यवस्था और मनुस्मृति के तहत बनाये गये क़ानून का खत्म होने का वक़्त आ गया था।
ज्योतिबा फुले ,शाहुजी महाराज, गाड़गे बाबा, नारायण गुरु , पेरियार और बाबासाहब डॉ आंबेडकर के माध्यम से जो सामाजिक क्रांति आई थी , उसे एक पहचान चाहिए थी। इसके लिए भारत में एक संविधान की जरूरत थी, हालांकि यंह यह कहना ज्यादा सही होगा कि भारत में राजनैतिक क्रांति की बजाय सामाजिक क्रांति की वजह से संविधान बना है। क्योंकि जो लोग राजनैतिक क्रांति में सक्रीय थे वो नहीं चाहते थे कि भारत में संविधान हो । वह बिना संविधान के ही देश भारत देश को चलाना चाहते थे। लेकिन भारत में सामाजिक क्रांति के कारण इतने ज्यादा मजबूत थे कि राजनैतिक लोग चाह कर भी संविधान निर्माण रोक नहीं पाए। डॉ आंबेडकर जी के लगातार सक्रिय रहने के कारण अंग्रेज लोग भी भारत में मौजूद असमानताओ को समझ चुके थे और वे आंबेडकर तथा संविधान के पक्ष में थे। इस तरह से भारत में संविधान बनने की प्रक्रिया पर मोहर लगी। इन सारी चीजो की वजह से 9Aug 1946 को 296
सदस्यों की संविधान सभा बनी। देश का विभाजन होने के कारण इसमें से 89 सदस्य चले गय। इस तरह भारतीय संविधान सभा में 207सदस्य बचे और इनकी पहली बैठक में सिर्फ 207 सदस्य ही उपस्थित थे इसमें से बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर   पहली बार ९ dec1946 को बंगाल से चुनकर आये (मुश्लिम वोट द्वारा) और इसके तुरंत बाद विभाजन हो गया जिसके बाद बाबा साहेब जिस संविधान परिषद की सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे उसे पाकिस्तान को दे दिया गया। इस तरह से बाबा साहेब का निर्वाचन रद्द हो गया। विभाजन की साजिश  इसलिए भी रची गई ताकि डॉ अम्बेडकर संविधान सभा में नहीं रह पाए।हालांकि इन सभी साज़िशो को दरकिनार करते हुए बाबा साहेब दुबारा 14जुलाई1947 को चुनकर आये।
  ‘अब डॉ अम्बेडकर दुबारा कैसे चुने गए? ‘
असल में डा आंबेडकर जब पहली बार संविधान सभा में चुन कर आये और विभाजन के बाद अपने निर्वाचन क्षेत्र के पाकिस्तान में चले जाने के कारण  विधान सभा का हिस्सा नहीं रहे, उस वक़्त यूनाइटेड किंगडम की पार्लियामेंट में Indian Constitution असेंबली का बहुत कड़ा विरोध हुआ और विरोध को दबाने के लिए नेहरु को UK के नेताओं को समझाने के लिए ब्रटेन जाना पड़ा था। इस विरोध की गंभीरता को इससे समझा जा सकता है कि कद्दावर नेता ‘चर्चिल’ ने यंहां तक कह दिया कि भारतीय लोग संविधान बनाने लायक नहीं है। इन लोगो को आज़ादी देना ठीक नहीं होगा। दरी बात Britishiors अल्पसंख्यको के हितो को लेकर काफी गंभीर थे। तात्कालिक स्थिति मेंUK पार्लियामेंट का कहना था कि अगर भारत में constitutional settlement होता है तो इसमें अल्पसंख्यको के हितो की गारंटी नहीं होगी, क्योंकि बाबा साहेब का कहना था कि इस पूरी प्रक्रिया में SC और ST नहीं है खासतौर से अछूत हिन्दू नहीं है। बाबा साहेब ने इसको साबित करते हुए SC-ST के लिए seperate safegaurd की बात कही थी। बाबा साहेब की इस बात पर UK के पार्लियामेंट में लम्बी बहस हुई थी। इस बहस से ये स्थिति पैदा हो गई थी कि अगर भारत में अधिकार के आधार पर, बराबरी के आधार पर अल्पसंख्यको (इसमें sc -st भी थे) के अधिकारो का सेटलमेंट नहीं होगा तो भारत का संविधान नहीं बन पायेगा और इसे वैधता नहीं मिलेगी और अगर संविधान नहीं बनेगा तो भारत को आज़ादी नहीं मिलेगी। ऐसी स्थिति में बाबा साहेब को चुनकर लाना कांग्रेस और पुरे देश की मजबूरी हो गई और इस प्रकार बाबा साहेब संविधान निर्माता के रूप में संघर्षरत रहे।बाबा साहेब अगर UK की constitutional assembly में नहीं होते तो अछूतो के अधिकारों का संवैधानिक सेटलमेंट होने की बात नहीं मानी जाती और इससे भारत के संविधान को मान्यता नहीं मिलती।
जिस सामाजिक क्रांति की बदौलत भारत के संविधान का निर्माण हुआ, उसमे शाहुजी महाराज, ज्योतिबा फुले,नारायण गुरु और बाबा साहेब आम्बेडकर का बहुत बड़ा योगदान था । इन तमाम महापुरुषों के संघर्षो के बाद बाबा साहेब आम्बेडकर के जरिये भारत में जो सामाजिक क्रांति आई वह एकमात्र कारण है जिससे भारत कइ समविधान का निर्माण हुआ। यह नहीं होता और संविधान नहीं होता तो लोगो के मूलभूत अधिकारों की गारंटी भी न होती। यानी बोलने की, लिखने की, अपनी मर्ज़ी से पेश चुनने की ,संगठन खड़ा करने की, मीडिया चलाने की आज़ादी नहीं होती। जातिगत भेदभाव को गलत नहीं माना जाता , छुवाछुत को कानून में अपराध घोषित नहीं किया जाता, स्त्री स्वतंत्रता की बात कौन करता। भारतीय संविधान का इतिहास Granville Austin ने एक किताब लिखी है जिसमे उन्होंने Dr आंबेडकर को  भारतीय संविधान सभा का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति माना है। भारतीय संविधान एक बहुत लम्बी प्रक्रिया के बाद बना। 30 Aug 1947 को इसकी पहली बैठक हुई। संविधान बनाने के लिए constituent assembly को 141 दिन काम करना पडा। सुरुवाती दौर में इसमें 315article पर विचार किया गया, 13 आर्टिकल schedule किया।
इसमे 7635 संसोधनो का प्रस्ताव किया गया था, जिसमे2473 संसोधन सभा में लाये गए। 395 आर्टिकल और 8 schedule के साथ भारत के लोगो ने भारत के संविधान को अपने प्रिय मुक्तिदाता डॉ आंबेडकर के जरिये 26Nov1949 को भारत के सुपुर्द किया। आज भारत के संविधान में 448आर्टिकल है। असल में नम्बरों के हिसाब से यह आज भी 395 ही है लेकिन बीच में (1) (2) या (a) (b) के जरिये बढता गया। इसके 22 भाग 12 schedule है। संविधान बनने के बाद अब तक संसद के सामने 120 संसोधन लाये गए है लेकिन इनमे 98 संसोधन ही स्वीकारे गए।
अगर अन्य देशो की तुलना करे तो England के लोगो को भी अधिकार टुकडो में मिला इंग्लैंड की महिलायो को voting का अधिकार 1920 में मिला। इसी तरह अमेरिका का संविधान 1779 में ही बन गया था लेकिन वंहां के संविधान में black लोगो को नागरिकता नहीं थी। 1865 में जब संविधान में 13वा संसोधन लाया गया तब अमेरिका के black लोगो को नागरिकता मिली। यंहां यह बताना जरूरी है कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 1857 में काले लोगो को dred scoutt केस में अमेरिकी नागरिक मानने से इनकार कर दिया तब Abrahm Lincon ने 1865 में 13वा संसोधन लेकर आये और काले लोगो को नागरिकता का अधिकार दिया। जबकि भारत में संविधान में पहली ही बार में यह घोसीत कर दिया गया कि सभी मनुष्य समानहै। जाति , धर्म, वर्ग,वर्ण, जन्म ,स्थान आदि से परे देश के सभी मनुष्य सामान हैऐसा संविधान में लिखा है और सव्को एक सूत्र में पिरोते हुए सभी को भारतीय माना है और ‘हिन्दुस्तान’ शब्द को मिटा दिया।
2500 सालो का इतिहास जो गुलामी का इतिहास था जो ब्राह्मणी मनुस्मृति जो ब्राह्मणों का संविधान था उसे बाबा साहेब ने 25dec1927 को जलाया था और 26nov1949 को नया संविधान स्थापित किया जो समानता,स्वतंत्रता और बंधुता पर आधारित है। इसकी सुरक्षा हमारा प्रथम कर्तव्य हैऔर ब्राह्मणों की तीखी नज़र इस पर है वे इसे ख़त्म कर फिर से मनुस्मृति की कल्पना करते है और कर रहे है। इस देश में जो शासक बनने का सपना तक नहीं देख पाते थे आज वे इस संविधान के अधिकार द्वारा राजा बन रहे। जिस देश में रानी के पेट से राजा बनते थे उस देश में अब संविधान से राजा बनने लगे। इस तरह देश को नई दिशा मिली।
25Nov 1949 को बाबा साहेब ने संविधान सभा में भाषण देते हुए कहा था कि संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो वह अपने आप लागू नहीं होता है, उसे लागू करना पडता है। ऐसे में जिन लोगो के ऊपर संविधान लागो करने की जिम्मेदारी होती है, यह उन पर निर्भर करता है कि वो संविधान को कितनी इमानदारी और प्रभावी ढंग से लागू करते है। इस लेख को जितनी मेहनत से लिखा गया उससे कंही ज्यादा मन से आपने पड़ा और संविधान को आपने सम्मान दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।


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स्वतंत्र भारताची राज्यघटन

लोकनियुक्त घटना समितीची कल्पना सर्व प्रथम मानवेंद्रनाथ रॉय यांनी १९२७ मध्ये सायमन कमिशन पुढे मांडली भारतमंत्री र्बकन हेड यांच्या आवाहनानुसार भारतीय नेत्यांनी नेहरू रिर्पोट च्या स्वरुपात १९२८ मध्ये घटनेबाबतच्या शिफारशी देण्यात आल्या होत्या. गोलमेज परिषदेतही घटना निर्मितीबाबत कॉंग्रेसने आग्रह धरला. ३० मार्च १९४२ रोजी क्रिप्स योजना जाहीर झाली. त्यानुसार महायुध्द समाप्तीनंतर भारतासाठी एक घटना परिषद नेमण्याचे आश्र्वासन देण्यात आले व १९४६ च्या कॅबिनेट मिशन त्रिमंत्री योजनेनुसार घटना समितीच्या निर्मितीची तरतूद करण्यात आली.
त्रिमंत्री योजनेनुसार १० लाख लोकांमागे एक अशा प्रमाणात प्रतिनिधींची निवड करण्यात येऊन घटना परिषदेची निर्मिती झाली. या परिषदेमध्ये सर्वसामान्य २१० मुस्लीम ७८ शीख ४ इतर ४ अशा २९६ प्रतिनिधींची निवड करण्यात आली. घटना समितीचे हंगामी अध्यक्ष म्हणून डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा निवडले गेले. त्यांच्या अध्याक्षतेखाली अध्यक्षपदी डॉ. राजेंद्रप्रसाद यांची निवड झाली घटना समितीचे उपाध्यक्ष म्हणुन डॉ. एच. सी. मुखर्जी यांची तर समितीचे सल्लागार म्हणून डॉ. बी. एन. राव यांची निवड झाली. याचबरोबर सा समितीमध्ये प्रमुख सदस्य म्हणुन पंडित नेहरू, सरदार पटेल, डॉ. आंबेडकर, डॉ. राधाकृष्णन, के.एम. मुन्शी डॉ. जयकर इत्यादींचा सहभाग होता.
घटना परिषदेमार्फत २९ ऑगस्ट १९४७ रोजी मसूदा समितीची निवड झाली. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांची मसूदा समितीच्या अध्यक्षपदी निवड झाली. त्याचबरोबर बी. एन. राव, एस, एन. मुखर्जी, इ. मसुदा समितीचे सदस्य म्हणून काम पाहिले घटनेच्या मसुद्यामध्ये ३१५ कलमे व ७ परिशिष्टे आहेत. घटना समितीने भारताच्या राष्ट्रध्वजाची निर्मिती केली. तर गुरुदेव रविंद्रनाथ टागोरांच्या भारत भाग्य विधाता, या गीताला राष्ट्रगीताचा मान देण्यात आला. २६ नोव्हेंबर १९४९ रोजी नवीन राज्यघटनेला मंजूरी देण्यात आली. राज्यघटना निर्मितीत डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांचे योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण आहे.
म्हणून त्यांना भारतीय राज्यघटनेचे शिल्पकार असे म्हणतात. २६ जानेवारी १९५० पासून नवीन राज्यघटनेनुसार देशाचा कारभार सुरु झाला. म्हणून हा दिवस सर्व देशभर साजरा केला जातो. भारताचे संविधान हा राज्यघटनेचा अत्यंत महत्वपूर्ण भाग आहे. घटनेची ध्येये आणि उद्दिष्टे यात प्रतिबिंब्ंिात झाली आहेत. भारताचे संविधान खालीलप्रमाणे.
भारताचे संविधान

आम्ही भारताचे लोक, भारताचे एक सार्वभौम समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकशाही गणराज्य घडविण्याचा व त्याच्या सर्व नागरिकांस सामाजिक, आर्थिक, व राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ती, विश्र्वास, श्रध्दा व उपासना यांचे स्वातंत्र्य दर्जाची व संधीची समानता:
निश्चितपणे प्राप्त करुन देण्याचा आणि त्या सर्वामध्ये व्यक्तीची प्रतिष्ठा व राष्ट्राची एकता आणि एकात्मता यांचे आश्र्वासन देणारी बंधूता प्रवर्धित करण्याचा संकल्पपूर्वक निर्धार करुन,
आमच्या संविधान सभेस आज दिनांक २६ नोव्हेंबर १९४९ रोजी याद्वारे हे संविधान अंगीकृत आणि अधिनियमित करुन स्वत:प्रत अर्पण करत आहोत.
भारतीय राज्यघटनेची वैशिष्टे :-

(१) लिखित घटना
भारताची राज्यघटना लिखित स्वरुपाची आहे. इंग्लंडच्या घटनेप्रमाणे ती अलिखित नाही. राज्यकारभाराबाबतचे नियम, कोणाचे काय अधिकार व कर्तव्य याबाबतची माहिती राज्यघटनेत देण्यात आयली आहे. घटना लिखित असली तरी काही अलिखित परंपरा पाळल्या जातात. उदा. एकच व्यक्ती तीन वेळा भारताचा राष्ट्रपती होऊ शकत नाही.
(२) जगातील सर्वात मोठी विस्तृत राज्यघटना
भारतीय राज्यघटना व्यापक व विस्तारित स्वरुपाची आहे. घटनेमध्ये ३९५ कलमे, ९ परिशिष्टे आहेत, केंद्र व प्रांत यांचे स्वरूप व अधिकार, न्यायव्यवस्थेचे अधिकार, निवडणूक आयोगाचे अधिकार, याची तपशीलवार माहिती देण्यात आली आहे. यामुळे भारतीय राज्यघटना जगातील इतर देशांच्या तुलनेत विस्तृत स्वरूपाची आहे.
(३) लोकांचे सार्वभौमत्व
घटनेनुसार जनता सार्वभैाम आहे. जनतेच्या हाती खरी सज्ञ्ल्त्;ाा आहे. कारण जनता आपल्या प्रतिनिधीमार्फ़त राज्यकारभार चालविते राष्ट्रप्रमुखाची (राष्ट्रपती) निवड जनता आपल्या प्रतिनिधीकरवी करते. निवडणुकीच्या माध्यमातुन जनता आपणास आवश्यक असा बदल घडवून आणू शकते. २६ जानेवारी १९५० पासून घटनेनुसार देशाचा राज्यकारभार सुरु झाला म्हणून २६ जानेवारी हा दिवस प्रजासत्ताक दिन राष्ट्रीय सण म्हणुन साजरा केला जातो.
(४) संसदीय लोकशाही
स्वातंत्र्यपूर्व काळात भारतीयांनी लोकशाही शासनपध्दतीची मागणी केली होती. घटनाकारांनी इंग्लंडचा आदर्श समोर ठेवून संसदीय लोकशाहीचा स्वीकार केला. लोसभा व राज्यसभेची निर्मिती करण्यात आली. लोकसभेतील सदस्य पक्ष आपले मंत्रिमंडळ (कार्यकारीमंडळ) बनवतो. कार्यकारी मंडळ हे कायदेमंडळाला जबाबदार आहे. लोकसभा, राज्यसभा व राष्ट्रपती, मिळून भारतीय संसद निर्माण झाल्याचे दिसून येते.
(५) संघराज्यात्मक स्वरूप
भारतीय घटनेने संघराज्यात्मक शासनपध्दतीचा स्वीकार केला आहे. केंद्र सरकार व राज्य सरकार यांच्यात सत्तेचे विभाजन करण्यात आले. आहे. कायदे मंडळ, कार्यकारी मंडळ व न्यायमंडळ यांना आपआपले अधिकार देण्यात आले आहेत. मात्र आणीबाणीच्या वेळी भारतीय संघराज्याचे स्वरूप एकात्म झाल्याचे दिसून येते.
(६) घटना अंशत परिवर्तनीय व अंशत परिदृढ
लिखित व अलिखित याप्रमाणेच परिवर्तनीय व परिदृढ असे घटनेचे प्रकार आहेत. इंग्लंडची राज्यघटना अतिशय लवचीक तर अमेरिकेची राज्यघटना अतिशय ताठर स्वरूपाची आहे. भारतीय राज्यघटना इंग्लंइतकी लवचीक नाही व अमेरिकेइतकी ताठरही नाही. भारतीय घटनादुरुस्तीची पध्दत कलम ३६८ मध्ये देण्यात आलेली आहे. एखाद्या साधारण मुद्यावर संसदेच्या साध्या बहुमताने घटनेत दुरुस्ती करण्यात येते मात्र राष्ट्रपतीची निवडणूक पध्दत केंद्र व प्रांत यांचे अधिकार, सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, इ. महत्वपूर्ण बाबीविषयी घटनेत दुरुस्ती करताना संसदेच्या २/३ सदस्यांची अनुमती निम्म्याहून अधिक घटक राज्याच्या विधिमंडळाची अनुमती आवश्यक असते. त्यामुळे भारतीय घटना अंशत, परिवर्तनीय व अंशत परिदृढ अशा स्वरुपाची बनविण्यात आली आहे.
(७) मूलभूतहक्क
भारतीय राज्यघटनेत व्यक्तीच्या मूलभूत अधिकारावर भर देण्यात आला आहे. कलम १२ ते ३५ मध्ये मूलभूत हक्क्ांचा समावेश करण्यात आलेला आहे. स्वातंत्र्य समता शैक्षणिक व सांस्कृतिक हक्क, धार्मिक स्वातंत्र्य संपत्तीचा हक्क, पिळवणुकिविरुध्द हक्क इ. महत्वपूर्ण हक्क व्यक्तीला देण्यात आलेले आहेत. हक्काबरोबरच व्यक्तीला काही कर्तव्यही पार पाडावी लागतात. हक्क आणि कर्तव्य या एकाच नाण्याच्या दोन बाजू आहेत. घटनेत व्यक्तीच्या मूलभूत हक्कांचा समावेश हे घटनेचे महत्वाचे वैशिष्टे आहे.
(८) धर्मनिरपेक्ष राज्य
भारत हे धर्मातील राष्ट्र संबोधण्यात आले आहे. कोणत्याही विशिष्ट धर्माला राजाश्रय न देता सर्व धर्माना समान लेखण्यात आले आहे. प्रत्येकाला आपआपल्या धर्माप्रमाणे प्रार्थना करण्याचा, आचरण ठेवण्याचा अधिकार देण्यात आलेला आहे. सर्व धर्मीयांना समान लेखण्यात आले. असून धर्म, जात पंथ, याद्वारे भेदभाव न करता सर्वाना समान संधी देण्यात आली आहे.
(९) एकेरी नागरिकत्व
अमेरिकन व स्वित्झर्लंड या देशामध्ये केंद्र व प्रांत यांचे दुहेरी नागरिकत्व देण्यात आलेले आहे. भारतात संघराज्यात्मक पध्दतीचा स्वीकार केलेला असूनही केंद्राचे व घटक राज्याचे असे वेगळे नागरिकत्व व्यक्तीस देण्यात आलेले नाही. प्रत्येक भारतीय यास संघराज्याचे नागरिकत्व देण्यात आलेल आहे. राष्ट्रीय ऐक्य वाढीस लागावे यासाठी एकेरी नागरिकत्वाची पध्दत स्वीकारण्यात आली आहे.
(१०) एकच घटना
ज्याप्रमाणे एकेरी नागरिकत्वाच पुरस्कार करण्यात आलेला आहे. त्याप्रमाणेच देशातील सर्व नागरिकांसाठी एकाच घटनेची तरतूद करण्यात आली आहे. घटक राज्यांना स्वतंत्र अशी घटना बनविण्याचा अधिकार नाही. घटक राज्यांना संघराज्याबाहेर फुटून निघण्याचा अधिकार नाकारण्यात आलेला आहे.
(११) राज्यघटना हीच सर्वश्रेष्ठ
देशाचा सर्वोच्च कायदा म्हणजे त्या देशाची राज्यघटना होय. राज्यघटनेच्या सर्वश्रेष्ठत्वाला आव्हान देता येत नाही. राष्ट्रपती, राज्यपाल, न्यायाधीश, मंत्री यांना राज्यघटनेची एकनिष्ठ राहण्याबाबत शपथ घ्यावी लागते.
(१२) जनकल्याणकारी राज्याची निर्मिती
भारताचा राज्यकारभार जनतेने निवडून दिलेल्या प्रतिनिधींमार्फ़त चालतो. भारताचा राष्ट्रपती हा इंग्लंडच्या राजाप्रमाणे वंश परंपरेनुसार नसतो, तर अप्रत्यक्ष निवडणूक पध्दतीने निवडण्यात येतो. जनता आपणास हवे असणारे सरकार निर्माण करू शकते व हे सरकार जनकल्याणासाठी बांधील असते.
(१३) मार्गदर्शक तत्वे
व्यक्तीला मूलभूत हक्कांना कायदेशीर मान्यता असते. मूलभूत हक्कांची शासनाकडून किंवा एखाद्या व्यक्तीकडून पायमल्ली झाल्यास संबंधिताला न्यायालयात दाद मागता येते. मात्र मार्गदर्शक तत्वांच्या बाबतीत हे धोरण लागू पडत नाही. मार्गदर्शक तत्वे व्यक्तीला कल्याणासाठी असली तरी ती सरकारने पाळलीच पाहिजेत असे सरकारवर बंधन नसते. मार्गदर्शक तत्वे ही नावाप्रमाणे मार्ग दाखविण्यासाठी उपयुक्त ठरतात. भारतीय घटनेतील काही निवडक मार्गदर्शक तत्वे पुढीलप्रमाणे (१) जीवनावश्यक गोष्टी सर्वाना मिळाव्यात (२) राज्यातील सर्वासाठी एकच मुलकी कायदा असावा (३) राज्यातील सर्व स्त्री -पुरुषांना समान वेतन असावे. (४) १४ वर्षाखालील सर्व मुलांना सक्तीचे व मोफत शिक्षण असावे (५) संपत्तीचे केंद्रीकरण होऊ नये (६) देशातील साधनसंपज्ञ्ल्त्;ा्ीचे समाजहिताच्या दृष्टीने वाटप व्हावे. (७) दारुबंदी व इतर उपायांनी लोकांच्या आरोग्याचे रक्षण व्हावे.
(१४) स्वतंत्र न्यायालय व्यवस्था
लोकशाहीच्या यशस्वीतेसाठी न्यायालयांना स्वातंत्र्य असणे आवश्यक आहे. भारतास एकेरी न्यायव्यवस्था आहे. सुप्रीम कोर्ट, हाय कोर्ट, जिल्हा, कोर्ट व इतर दुय्यम न्यायालये यांची एक साखळी निर्माण करण्यात आली आहे. न्याय व्यवस्थेवर राजकीय सत्तेचा दबाब येऊ नये यासाठी विधिमंडळ व कार्यकारीमंडळ यांच्या पासून न्यायमंडळाची व्यवस्था स्वतंत्र करण्यात आली आहे. न्यायाधीशांची नेमणूक बदली, बढती, पगार, या सर्व गोष्टींना संरक्षण देऊन न्यायाधीशांकडून कार्यक्षम व निपक्षपाती न्यायाची अपेक्षा करण्यात आली आहे.
(१५) राष्ट्रपती व त्यांचे आणीबाणीचे अधिकार
भारताचा राष्ट्रपती घटनात्मक प्रमुख आहे. त्यांची निवड संसद सदस्य व विधानसभा सदस्यांकडून क्रमदेय निवड पध्दतीने होत असते. सर्व महत्वपूर्ण गोष्टी राष्ट्रपतींच्या नावे होत असल्या तरी प्रत्यक्षात मंत्रिमंडळाच्या हाती सज्ञ्ल्त्;ाा केंदि्रत झाली आहे. भारताच्या राष्ट्रपतीला कायदेविषयक अंमलबजावणीविषयक आर्थिक बाबीविषयी घटक राज्याविषयक, न्यायविषयक व संकटकाल विषयक अशा सहा प्रकारचे अधिकार देण्यात आलेले आहेत. भारतीय राष्ट्रपतीला मिळालेला संकटकाल विषयक अधिकार अत्यंत महत्वाचा आहे.
(१६) हिंदी भाषेस राष्ट्रभाषेचा दर्जा
भारतीय राज्यघटनेत भाषाविषयक धोरण स्पष्ट करण्यात आले आहे. अनुच्छेद ३४३ मध्ये स्पष्ट घोषणा करण्यात आली आहे की, भारत या संघराजयाची अधिकृत भाषा देवनागरीतील हिंदी ही राहील. प्रादेशिक राज्यकारभार ज्या त्या प्रादेशिक भाषेमधून चालविण्याबाबत घटनेत स्पष्ट करण्यात आले आहे. इंग्रजी एक जादा भाषा म्हणून राहील. आंतराष्ट्रीय व्यवहार व हिंदी समजू न शकणार्‍या राज्यांना केद्र सरकारशी व्यवहार करण्यासाठी इंग्रजीचा वापर करता येईल.
(१७) प्रौढ मताधिकार
भारतीय लोकशाहीने प्रौढ मतदार पध्दतीचा स्वीकार केलेला आहे. १८ वर्षावरील सर्व स्त्री पुरुषास मतदानाचा अधिकार देण्यात आलेला. आहे निवडणूक मंडळाची निर्मिती करण्यात आली आहे. लोकसंख्या व विस्ताराच्या दृष्टीने भारतासारख्या विशाल देशात प्रौढ मताताधिराने लोकशाहीचा प्रयोग राबविण्यात येत आहे. सनदी नोकरांच्या निवडीसाठी पब्लिक सर्व्हिस कमिशन (लोकसेवा अयोग मंडळ) ची स्थापना करण्यात आली

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26 नोव्हेंबर हा संविधान दिन

भारतीय इतिहासातील 26 नोव्हेंबर हा संविधान दिन म्हणून जरी साजरा केला जात असला तरी संविधानच्या अंमलबजावणी 26 जानेवारी 1950 पासून करण्यात आली आहे. भारतीय लोकशाही आज, 26 जानेवारी 2016 रोजी 66वर्ष पूर्ण करत आहे. मात्र भारत सरकारसह भारतीय जनतेला या द‍िनांचा विसर पडत आहे. असे निदर्शनात आले आहे. 26 नोव्हेंबरला हा दिवस 'संविधान दिन' म्हणून साजरा केला जातो. मुंबईवर 26/11 दहशतवादी हल्ला झाल्यापासून हा दिवस 'काळा दिन' म्हणून पाळत आहे. 

जगातील सर्वात मोठी लोकशाही असणार्‍या भारताने भारतीय संविधानाच्या अंमलबजावणीने खर्‍या अर्थाने लोकशाहीची प्रस्थापना झाली. सर्वश्रेष्ठ संविधान समजले जाणारे भारतीय संविधान 26 नोव्हेंबर 1949 रोजी घटना समितीने स्वीकारले होते. मात्र त्याची खर्‍या अर्थाने अंमलबजावणी मात्र 26 जानेवारी 1950 पासून करण्यात आली.

भारतीय संविधानासंदर्भात जन-जागृती, माहिती व्हावी यासाठी संविधान दिनाच्या कार्यक्रमाचे आयोजन करण्यात येत असे, मात्र ते सार्वत्रिक पातळीवर होत नाहीत. याबाबत महाराष्‍ट्र शासनाने यापुर्वी जनतेला 26 नोव्हेंबरला 'भारतीय संविधान द‍िन' साजरा करण्याचे ही आवाहन केले होते. मात्र यासंदर्भात राज्यातील सर्व शासकीय, निमशासकीय कार्यालये, सर्व स्थानिक स्वराज्य संस्था, जिल्हा परिषद शाळा, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शाळा, सर्व प्रकारची महाविद्यालये आदी आजही अनभिज्ञ दिसत आहे. शासनाने भारतीय संविधानची माहिती जनतेला करून देण्यासाठी 26 नोव्हेंबरला पोस्टर प्रदर्शन, बॅनर्स, निंबध स्पर्धा घेण्याच्या सुचना दिल्या होत्या मात्र त्या पाळल्या जात नसल्याचे चित्र समोर दिसत आहे. 

गतवर्ष 26/11 ला मुंबईवर दहशतवादी हल्ला झाला होता. तो दिवस होता 26 नोव्हेंबर, 'भारतीय संविधानदिन'. मात्र तेव्हापासून शासन दरबारी हा दिवसाची 'काळा दिन' म्हणून नोंद करण्यात आली आहे. त्यामुळे हा दिवस 'काळा दिवस' म्हणून भारतीय जनतेमध्ये कायमचाच रूजला जात असून शासनाला आता संविधान दिनाचा पुरता विसर पडला आहे. 
देशावर येणार्‍या संकटप्रसंगी सारे भारतीय, सारे भेद विसरून एकत्र येतात. ही ताकद आपल्याला भारतीय संविधानाचीच आहे. या संविधानामुळेच देशाचे ऐक्य व एकात्मता कायम टिकून आहे. या दिनाप्रमाणेच 15 ऑगस्ट व 26 जानेवारी हे दिवस सरकारच्या कालदर्शिकेतून नाहिसे होणार की काय अशी भिती आता वाटू लागली आहे.

Monday, 12 December 2016

ज्ञानरचनावाद - छायाचित्रे

ज्ञानराचानावादानुसार अध्यापन व विद्यार्थ्यांना अध्ययन करणे सुलभ जावे यासाठी सर्व ठिकाणी विविध प्रकारचे साहित्य बनविणे व वर्ग, शालेय परिसर, भिंती तसेच फारशी रंगविल्या जात आहेत. whatsapp च्या माध्यमातून अनेकांनी आपल्या शाळेतील विविध रचनांची छायाचित्रे विविध group वर पाठविली आहेत. हि सर्व छायाचित्रे आपल्या सर्वांच्या माहितीसाठी येथे एकत्रित उपलब्ध करून देत आहे. एखद्या छायाचीत्राबाबत कोणाला अक्षेप असेल तर मला तत्काळ कळवावे. म्हणजे ते छायाचित्र वगळले जाईल.
                                                  
ज्ञानराचानावादानुसार अध्यापन व विद्यार्थ्यांना अध्ययन करणे सुलभ जावे यासाठी सर्व ठिकाणी विविध प्रकारचे साहित्य बनविणे व वर्ग, शालेय परिसर, भिंती तसेच फारशी रंगविल्या जात आहेत. whatsapp च्या माध्यमातून अनेकांनी आपल्या शाळेतील विविध रचनांची छायाचित्रे विविध group वर पाठविली आहेत. हि सर्व छायाचित्रे आपल्या सर्वांच्या माहितीसाठी येथे एकत्रित उपलब्ध करून देत आहे. एखद्या छायाचीत्राबाबत कोणाला अक्षेप असेल तर मला तत्काळ कळवावे. म्हणजे ते छायाचित्र वगळले जाईल.