THIS DOMAIN EXPIRES ON 31 JANUARY.PLEASE VISIT MY OLD DOMAIN WWW.MAHESHMHASE1.BLOGSPOT.COM FOR CONTINOUS INFORMATION. नवनिर्मितीची कास धरलेल्या आपले या संकेतस्थळावर सह्रदय स्वागत ! आपला एखादा नाविण्यपुर्ण उपक्रम, लेख, साहित्य वा कोणतीही नाविण्यपूर्ण बाब या संकेतस्थळावर प्रसिद्ध करु इच्छित असाल तर Maheshmhase4@gmail.com या अधिकृत ई-मेल वर पाठवा.. निश्चितच त्यास प्रसिद्ध केले जाईल!MOBILE-9561884685

Pages

संविधान day

v
【 All information is gathered here From google 】
संविधान pdf मध्ये download करण्यासाठी खाली क्लिक करा

संविधान गीत




मराठी भाषण  
<<<<<[ download in pdf ]>>>>>
भारतीय इतिहासातील हा म्हणून जरी साजरा केला जात असला तरी संविधानच्या अंमलबजावणी 26 जानेवारी 1950 पासून करण्यात आली आहे. भारतीय लोकशाही आज, 26 जानेवारी 2013 रोजी 63 वर्ष पूर्ण करत आहे. मात्र भारत सरकारसह भारतीय जनतेला या द‍िनांचा विसर पडत आहे. असे निदर्शनात आले आहे. 26 नोव्हेंबरला हा दिवस 'संविधान दिन' म्हणून साजरा केला जातो. मुंबईवर 26/11 दहशतवादी हल्ला झाल्यापासून हा दिवस 'काळा दिन' म्हणून पाळत आहे. 
जगातील सर्वात मोठी लोकशाही असणार्‍या भारताने भारतीय संविधानाच्या अंमलबजावणीने खर्‍या अर्थाने लोकशाहीची प्रस्थापना झाली. सर्वश्रेष्ठ संविधान समजले जाणारे भारतीय संविधान 26 नोव्हेंबर 1949 रोजी घटना समितीने स्वीकारले होते. मात्र त्याची खर्‍या अर्थाने अंमलबजावणी मात्र 26 जानेवारी 1950 पासून करण्यात आली.भारतीय संविधानासंदर्भात जन-जागृती, माहिती व्हावी यासाठी संविधान दिनाच्या कार्यक्रमाचे आयोजन करण्यात येत असे, मात्र ते सार्वत्रिक पातळीवर होत नाहीत. याबाबत महाराष्‍ट्र शासनाने यापुर्वी जनतेला 26 नोव्हेंबरला 'भारतीय संविधान द‍िन' साजरा करण्याचे ही आवाहन केले होते. मात्र यासंदर्भात राज्यातील सर्व शासकीय, निमशासकीय कार्यालये, सर्व स्थानिक स्वराज्य संस्था, जिल्हा परिषद शाळा, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शाळा, सर्व प्रकारची महाविद्यालये आदी आजही अनभिज्ञ दिसत आहे. शासनाने भारतीय संविधानची माहिती जनतेला करून देण्यासाठी 26 नोव्हेंबरला पोस्टर प्रदर्शन, बॅनर्स, निंबध स्पर्धा घेण्याच्या सुचना दिल्या होत्या मात्र त्या पाळल्या जात नसल्याचे चित्र समोर दिसत आहे.गतवर्ष 26/11 ला मुंबईवर दहशतवादी हल्ला झाला होता. तो दिवस होता 26 नोव्हेंबर, 'भारतीय संविधानदिन'. मात्र तेव्हापासून शासन दरबारी हा दिवसाची 'काळा दिन' म्हणून नोंद करण्यात आली आहे. त्यामुळे हा दिवस 'काळा दिवस' म्हणून भारतीय जनतेमध्ये कायमचाच रूजला जात असून शासनाला आता संविधान दिनाचा पुरता विसर पडला आहे.देशावर येणार्‍या संकटप्रसंगी सारे भारतीय, सारे भेद विसरून एकत्र येतात. ही ताकद आपल्याला भारतीय संविधानाचीच आहे. या संविधानामुळेच देशाचे ऐक्य व एकात्मता कायम टिकून आहे. या दिनाप्रमाणेच 15 ऑगस्ट व 26 जानेवारी हे दिवस सरकारच्या कालदर्शिकेतून नाहिसे होणार की काय अशी भिती आता वाटू लागली आहे.हिंदी भाषण
            <<<<<[ download in pdf ]>>>>>भारत में 26 नवम्बर को हर साल संविधान दिवस मनाया जाता है, क्योंकि वर्ष 1949 में 26 नवम्बर को संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को स्वीकृत किया गया था जो 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया। डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के संविधान का जनक कहा जाता है। भारत की आजादी के बाद काग्रेस सरकार ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के प्रथम कानून मंत्री के रुप में सेवा करने का निमंत्रण दिया। उन्हें 29 अगस्त को संविधान की प्रारुप समिति का अध्यक्ष बनाया गया। वह भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे और उन्हें मजबूत और एकजुट भारत के लिए जाना जाता है।
भारतीय संविधान का पहला वर्णन ग्रानविले ऑस्टिन ने सामाजिक क्रांति को प्राप्त करने के लिये बताया था। भारतीय संविधान के प्रति बाबा साहेब अम्बेडकर का स्थायी योगदान भारत के सभी नागरिकों के लिए एक बहुत मददगार है। भारतीय संविधान देश को एक स्वतंत्र कम्युनिस्ट, धर्मनिरपेक्ष स्वायत्त और गणतंत्र भारतीय नागरिकों को सुरक्षित करने के लिए, न्याय, समानता, स्वतंत्रता और संघ के रूप में गठन करने के लिए अपनाया गया था।

जब भारत के संविधान को अपनाया गया था तब भारत के नागरिकों ने शांति, शिष्टता और प्रगति के साथ एक नए संवैधानिक, वैज्ञानिक, स्वराज्य और आधुनिक भारत में प्रवेश किया था। भारत का संविधान पूरी दुनिया में बहुत अनोखा है और संविधान सभा द्वारा पारित करने में लगभग 2 साल, 11 महीने और 17 दिन का समय ले लिया गया।
भारत में संविधान दिवस 26 नवंबर को हर साल सरकारी तौर पर मनाया जाने वाला कार्यक्रम है जो संविधान के जनक डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर को याद और सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। भारत के लोग अपना संविधान शुरू करने के बाद अपना इतिहास, स्वतंत्रता, स्वतंत्रता और शांति का जश्न मनाते है।
सब बाधाओ को लाँगकर जब बाबा साहेब संविधान सभा का सदस्यता चुनाव जीत गये तब उनकी प्रतिभा को देखकर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर को बताया कि उन्हें संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्‍यक्ष बनाया गया है और कहा कि संविधान बहुत आसान व अच्‍छा बने तब डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर ने कहा ”आपकी आज्ञा का पालन होगा, राष्‍ट्रपति महोदय” !
संविधान निर्मात्री समिति में सात सदस्‍य थे । उनमें से अचानक एक की मृत्‍यु हो गई । एक सदस्‍य अमेरिका में जाकर रहने लगे और एक सदस्‍य ऐसे जिनको सरकारी काम काज से ही अवकाश नहीं मिल पाया था । इनके अतिरिक्‍त दो सदस्‍य ऐसे थे जो अपना स्‍वास्‍थय ठीक न रहने के कारण वे सदा दिल्‍ली से बाहर रहते थे । इस प्रकार संविधान निर्मात्री समिति के पाँच ऐसे थे जो समिति के कार्यों में सहयोग नहीं दे पाये थे ।
डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर ही एक ऐसे सदस्‍य थे, जिन्‍होंने अपने कंधों पर ही संविधान निर्माण का कार्यभार संभाला था । जब संविधान बन गया तब एक-एक प्रति डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद एवं पंडित जवाहर लाल नेहरू को दी । उन्‍हें संविधान, सरल अच्‍छा लगा । सभी लोग डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर की तारीफ करने लगे व बधाईयाँ दी गई । एक सभा का आयोजन किया गया । जिसमें डा. राजेन्‍द्र प्रसाद ने कहा- ”डा. भीमराव अम्‍बेडकर अस्‍वस्‍थ थे, फिर भी बड़ी लगन, मन व मेहनत से काम किया । वे सचमुच बधाई के पात्र हैं । ऐसा संविधान शायद दूसरा कोई नहीं बना पाता, हम इनके आभारी रहेंगे ।”
पंडित नेहरू ने अपने भाषण में काहा ”डा. भीमराव अम्‍बेडकर संविधान के शिल्‍पकार हैं, नया संविधान इनकी देन है । इतिहास में इनका नाम स्‍वर्ण-अक्षरों में लिखा जावेगा । वे महापुरूष हैं । जब तक भारत का नाम रहेगा, तब तक अम्‍बेडकर का नाम भी भारतीय संविधान में हमेशा जुड़ा रहेगा ।”
26 जनवरी सन् 1950 के दिन यह नया संविधान भारतीय जनता पर लागू किया गया । उस दिन गणतंत्र दिवस का समारोह मनाया गया । वही संविधान आज भी लागू है ।
संविधान निर्माण की झलकिया :
1. संविधान प्रारूप समिति की बैठकें 114 दिन तक चली ।
2. संविधान निर्माण में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा ।
3. संविधान निर्माण कार्य पर कुल 63 लाख 96 हजार 729 रूपये का खर्च आया ।
4. संविधान के निर्माण कार्य में कुल 7635 सूचनाओं पर चर्चा की गई ।
5. 26 जनवरी 1950 केा भारत का संविधान लागू होने के बाद से अब तक हुए अनेक संशोधनों के बाद भारतीय संविधान में 440 से भी अधिक अनुच्‍छेद व 12 प्रविशिष्‍ट हो चुके हैं ।
” तेरी जय हो भीम महान, बना दिया भारत का संविधान । ”
भारत का संविधान 26Nov 1949 में स्वीकार किया गया। संविधान के मायने क्या होते है, शायद उस समय भारत के लोगो को यह पता नहीं था। लेकिन दुनिया में संविधान का महत्व स्थापित हो चुका था। अमेरिका में 1779 में संविधान बन चुका था। हालांकि UK में उस तरह का संविधान नहीं है लेकिन वंहा MAGNA CARTA जैसी संवैधानिक अधिकारों की व्यवस्था कायम हो चुकी थी जिसके तहत राजा ने अपनी जनता की साथ अपने अधिकारों को बाट लिया था। वंहा अब तक इसी तरह कई settlement से बनी व्यवस्था कायम है और 15 जून 2015 को उसके (MAGNA CARTA) के 800साल होने वाले है।
संविधान असल में समूह में बंटे लोग जो राष्ट्र बनना चाहते है, को मानवीय अथिकार दिलाता है।इसके तहत लोगो के लिए स्वतंत्रता ,बंधुता ,समानता और न्याय के लिए व्यवस्था का निर्माण किया जाता है। यह सभी मनुष्यों को समान अधिकार भी देता है और इनके बीच भेदभाव को अपराध भी घोषित करता है।
1950 के बाद विश्व के लगभग ५० देशो ने अपना संविधान बनाया जिसमे भारत उनमे से पहले स्थान पर है और भारत का संविधान ही अन्य देशो के लिए प्रेरणा बना।हालांकि यंहा यह भी साफ़ कर देना होगा कि भारत की “आज़ादी का आन्दोलन” और ” भारत के संविधान” का आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है , दोनों ही अलग अलग घटनाएं है। जब सन१९२८ में simon commission भारत आया तो उस समय constitutional settlement की बात उठी। अंग्रेजो ने यह तय करना जरूरी समझा कि भारत कोब्सत्ता के हस्तांतरण के बाद भारत में लोकतान्त्रिक व्यवस्था ही लागू हो और इस पूरी प्रक्रिया में बाबा साहेब डॉ आंबेडकर की भूमिका प्रमुख रही।अगर हम बाबा. साहेब के सम्पूर्ण जीवन को देखे तो यह साफ़ हो जाएगा कि वे कोंस्टीटूशनल सेटलमेंट को लेकर कितने गंभीर थे। उनका मानना था कि देश मे सामाजिक क्रांति तभी स्थाई होगी जब संवैधानिक गारंटी होगी। वह संविधान के जरिये देश में समानता स्थापित करना चाहते थे। वह चाहते थे भारत में असमानता ख़त्म हो और समानता आये और लोगो को उनका fundamental right मिले। संवैधनिक तौर पर भारत में जाति और वर्णजैसी व्यवस्था और मनुस्मृति के तहत बनाये गये क़ानून का खत्म होने का वक़्त आ गया था।
ज्योतिबा फुले ,शाहुजी महाराज, गाड़गे बाबा, नारायण गुरु , पेरियार और बाबासाहब डॉ आंबेडकर के माध्यम से जो सामाजिक क्रांति आई थी , उसे एक पहचान चाहिए थी। इसके लिए भारत में एक संविधान की जरूरत थी, हालांकि यंह यह कहना ज्यादा सही होगा कि भारत में राजनैतिक क्रांति की बजाय सामाजिक क्रांति की वजह से संविधान बना है। क्योंकि जो लोग राजनैतिक क्रांति में सक्रीय थे वो नहीं चाहते थे कि भारत में संविधान हो । वह बिना संविधान के ही देश भारत देश को चलाना चाहते थे। लेकिन भारत में सामाजिक क्रांति के कारण इतने ज्यादा मजबूत थे कि राजनैतिक लोग चाह कर भी संविधान निर्माण रोक नहीं पाए। डॉ आंबेडकर जी के लगातार सक्रिय रहने के कारण अंग्रेज लोग भी भारत में मौजूद असमानताओ को समझ चुके थे और वे आंबेडकर तथा संविधान के पक्ष में थे। इस तरह से भारत में संविधान बनने की प्रक्रिया पर मोहर लगी। इन सारी चीजो की वजह से 9Aug 1946 को 296
सदस्यों की संविधान सभा बनी। देश का विभाजन होने के कारण इसमें से 89 सदस्य चले गय। इस तरह भारतीय संविधान सभा में 207सदस्य बचे और इनकी पहली बैठक में सिर्फ 207 सदस्य ही उपस्थित थे इसमें से बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर   पहली बार ९ dec1946 को बंगाल से चुनकर आये (मुश्लिम वोट द्वारा) और इसके तुरंत बाद विभाजन हो गया जिसके बाद बाबा साहेब जिस संविधान परिषद की सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे उसे पाकिस्तान को दे दिया गया। इस तरह से बाबा साहेब का निर्वाचन रद्द हो गया। विभाजन की साजिश  इसलिए भी रची गई ताकि डॉ अम्बेडकर संविधान सभा में नहीं रह पाए।हालांकि इन सभी साज़िशो को दरकिनार करते हुए बाबा साहेब दुबारा 14जुलाई1947 को चुनकर आये।
25Nov 1949 को बाबा साहेब ने संविधान सभा में भाषण देते हुए कहा था कि संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो वह अपने आप लागू नहीं होता है, उसे लागू करना पडता है। ऐसे में जिन लोगो के ऊपर संविधान लागो करने की जिम्मेदारी होती है, यह उन पर निर्भर करता है कि वो संविधान को कितनी इमानदारी और प्रभावी ढंग से लागू करते है। इस लेख को जितनी मेहनत से लिखा गया उससे कंही ज्यादा मन से आपने पड़ा और संविधान को आपने सम्मान दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
 इग्रजी भाषण
<<<<<[ download in pdf ]>>>>> 
Constitution Day in India is celebrated every year on 26th of November as the constitution of India was adopted by the Constituent Assembly on 26th of November in the year 1949 and came into force on 26th of January in 1950. Dr. Ambedkar is the Father of Constitution of India. After the independence of India Dr. Ambedkar was invited by the Congress government to serve as a first law minister of the India. He was appointed as the Constitution Drafting Committee’s Chairman on 29th of August. He was the chief architect of the Indian constitution and known for the strong and united India.
Indian constitution was first described by the Granville Austin to achieve the social revolution. The ever lasting contribution of the Babasaheb Ambedkar towards the Indian constitution helps a lot to all the citizens of India. The constitution of Indian was adopted to constitute the country as an independent, communist, secular, autonomous and republic to secure the Indian citizens by the justice, equality, liberty and union.
When the constitution of India was adopted, the citizens of India were entered to a new constitutional, scientific, self-governing and modern India with the peace, poise and progress. The constitution of India is very unique all over the world and has taken around 2 years, 11 months and 17 days to pass by the Constituent Assembly.
Some of the following characteristics of the Indian constitution are:
  • It is written and broad
  • It has the democratic government – Elected Members
  • Fundamental rights
  • Liberty of judiciary, travel, live, speech, religion, education
  • Single Nationality
  • Indian constitution is both flexible and non-flexible
  • Obliteration of caste system at the National level
  • Common civil code and official languages
  • Center is similar to a Buddhist ‘Ganrajya’
  • Impact of Buddha and Buddhist rituals
  • Since the Indian constitution came into act, the females in India got right to vote.
  • Various countries all over the world have followed the Indian Constitution.
  • One of the neighbor countries, Bhutan has also accepted the Indian Democratic system.
Why Do We Celebrate Constitution Day
Constitution Day or Samvidhan Divas in India is an officially celebrating event which is celebrated every year on 26th of November to honor and remember the father of Constitution, Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar. People in India remember their history and celebrate independence and peace every year after launching the own constitution of India.

No comments:

Post a Comment