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तयारी - प्रजासत्ताक दिवस,गणतंत्र दिवस,Republic day

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येणारा गणतंत्र दिवस हा चिरायू हो ह्या साठी आपणास तयारी करणे अवश्यक्य आहे.ह्या ठिकाणी आपणास गणतंत्र दिवससाठी आवश्यक ती माहिती गोळा केली आहे 
काय आहे ह्या मध्ये..
1.।।गणतंत्र दिन निम्मित काही शेर
2.गणतंत्र दिवस के नारे
3.गणतंत्र दिवस -काही भाषणे,इंग्रजी ,मराठी व हिंदी.
4.गणतंत्र दिवस पार कुछ कविताए
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फलक लेखन
रांगोळी
भाषणे
ध्वज संहिता
<<【 क्लीक करा 】>>

।।गणतंत्र दिन निम्मित काही शेर।।
//1//
कुछ कर गुजरने की गर तमन्ना उठती हो दिल में
भारत मा का नाम सजाओ दुनिया की महफिल में |
//2//
हर तूफान को मोड़ दे जो हिन्दोस्तान से टकराए
चाहे तेरा सीना हो छलनी तिरंगा उंचा ही लहराए |
//3//
बंद करो ये तुम आपस में खेलना अब खून की होली
उस मा को याद करो जिसने खून से चुन्नर भिगोली |
//4//
किसकी राह देख रहा , तुम खुद सिपाही बन जाना
सरहद पर ना सही , सीखो आंधियारो से लढ पाना |
//5//
इतना ही कहेना काफी नही भारत हमारा मान है
अपना फ़र्ज़ निभाओ देश कहे हम उसकी शान है |
//6//
विकसित होता राष्ट्र हमारा , रंग लाती हर कुर्बानी है
फक्र से अपना परिचय देते,हम सारे हिन्दोस्तानी है |
आओ झुकर सलाम करे उनको जिनके हिस्से मे ये मुकाम आता है,
खुसनसीब है वो खून जा देश के काम आता है..!!

जिन्हें है प्यार वतन से, वो देश के लिए अपना लहू बहाते हैं,
माँ की चरणों में अपना शीश चढ़ाकर, देश की आजादी बचाते हैं,
देश के लिए हँसते-हँसते अपनी जान लुटाते हैं..!! 

कभी सनम को छोड़ के देख लेना, कभी शहीदों को याद करके देख लेना,
कोई महबूब नहीं है वतन जैसा यारो, देश से कभी इश्क करके देख लेना..!!

कभी सनम को छोड़ के देख लेना, कभी शहीदों को याद करके देख लेना,
कोई महबूब नहीं है वतन जैसा यारो, देश से कभी इश्क करके देख लेना..!!

ज़माने भर में मिलते हैं आशिक कई,
मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता,
नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हैं शासक कई,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता..!!

जब देश में थी दिवाली..... वो खेल रहे थे होली...
जब हम बैठे थे घरो में...... वो झेल रहे थे गोली...
क्या लोग थे वो अभिमानी...
है धन्य उनकी जवानी.........
जो शहीद हुए है उनकी... ज़रा याद करो कुर्बानी...
ए मेरे वतन के लोगो... तुम आँख में भर लो पानी..!!
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गणतंत्र दिवस के नारे


स्वतंत्रता तब तक स्वतंत्रता नहीं है जब तक कि ये सभी को बराबर अधिकार प्रदान न करे।

सही अर्थों में दासता स्वतंत्रता से अच्छी है, कम से कम ये सभी के साथ एक जैसा तो व्यवहार करती है।

स्वतंत्रता कुछ भी नहीं है, इसलिये दिखाई नहीं देती सिर्फ महसूस की जाती है।

स्वतंत्रता किसी भी शासक से आजाद होना नहीं है बल्कि सभी बंधनों से मुक्त होना है चाहे वो शारीरिक, सामाजिक, राजनीतिक, मानसिक या बौद्धिक ही क्यों न हो।

स्वतंत्रता वो धन है जो मनुष्य को शारीरिक, मानसिक सामाजिक और मनोवैज्ञानिक तौर पर खुश करता है।

एक युवा होने के नाते हमें केवल एक सत्य में विश्वास में करना चाहिये कि हम देश का भाग्य बदलने की ताकत है।

राष्ट्रीय ध्वज के रंगों को मत देखों, बस केवल इसके पीछे छिपे अर्थ को महसूस करो।

हम लोकतांत्रिक देश में रहने पर गर्व महसूसस करते हैं, हांलाकि क्या हम लोकतंत्र का वास्तविक अर्थ जानते हैं?

हम शासकीय प्रणाली आजाद हो चुके हैं, किन्तु अभी भी भ्रष्टाचार और आतंकवाद से शासित है।

हम मंगल ग्रह तक अपनी पहुँच बनाने में सफल हो गये पर अपनी संकीर्ण मानसिकता में आज भी जकड़े हुये हैं।

हम अंतरिक्ष में नये आसियाने की खोजो में लगे हैं पर पृथ्वी पर बसे हुये पुराने आसियाने को उजाड़ रहे हैं।

हम आजादी पाने के लिये छटपटाते हैं और मिलने पर उसका सही अर्थ नहीं समझ पाते हैं।

हम विदेशी शासकों से तो आजाद हो चुके हैं पर अपने राजनेताओं के जातिवाद और क्षेत्रवाद में उलझे हुये हैं।

वास्तविक अर्थ में, स्वतंत्रता बिमारियों, लालच और मानसिक गंदगी से आजाद होना है।

स्वतंत्रता की वास्तविक स्थिति वो है जहाँ एक अपनी पाँचो ज्ञानेद्रियों को अपने वश में कर लेता है।

चलो, इस गणतंत्र दिवस पर एक स्वप्न देखे: एक राष्ट्र, एक उद्देश्य और एक पहचान।

भारतीय होना हमारी पहचान है, हांलाकि गणतंत्र होना हमारे देश की पहचान है।

तिरंगा, जिससे हम गणतंत्र दिवस पर फहराते हैं, हमारी आजादी का संकेतक है।

67वाँ गणतंत्र दिवस मनाना हमारा सौभाग्य है।

इस गणतंत्र दिवस पर अन्तिम सांस तक देश के लिये जीने की एक प्रतिज्ञा लेते है।
यदि आप स्वतंत्रता से जीना चाहते हो तो अपने देश को प्यार करो!

यदि आप वास्तविक अर्थों में स्वतंत्रता चाहते हो तो, गंदगी, प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग से आजाद हो।

हमारे पूर्वजों ने हमें गणतंत्र देश दिया है, लेकिन; क्या हम अपने आगे आने वाली पीढ़ी को प्रदूषण मुक्त राष्ट्र देने में सक्षम होंगे।

भारत को गणतंत्र देश बनाना हमारे पूर्वजों का सपना था और; हमारा सपना साफ और हरा-भरा भारत होना चाहिये।

गणतंत्र दिवस एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है जब भारत की शक्ति, संस्कृति और एकता प्रदर्शित होती है।

चलो, गणतंत्र दिवस की तरह स्वच्छ भारत दिवस मनायें।

चलो, गणतंत्र भारत में विकास का स्वागत करें।

हम 1950 से गणतंत्र दिवस मना रहें हैं लेकिन 2019 तक स्वच्छ भारत दिवस मनाने को सुनिश्चित करें।

चलो, इस साल गणतंत्र दिवस स्वच्छ भारत, विकलित भारत के उद्देश्य से मनायें।

हम अपने असली हीरों के कारण 67वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने पर गर्व महसूस करते हैं।

देश में स्वतंत्रता बनाये रखने के लिये अपनी जिम्मेदारियों को वफादारी के साथ निर्वहन करें।

देश के लिये अपने कर्तव्यों के प्रति वफादार बनें।

बच्चें बचाओं, राष्ट्र बचाओं।

बाल-श्रम को रोको और देश के विकास को सुनिश्चित करो।

बेटी पढ़ाओं, राष्ट्र को विकसित बनाओं।

देश के सशक्तिकरण के लिये महिला सशक्तिकरण करो।

स्वच्छ भारत, हरा भारत, प्रदूषण मुक्त भारत।

स्वतंत्र भारत, गणतंत्र भारत, चलो, इसे हम विकसित भारत बनायें।

स्वच्छ भारत, विकसित भारत, गणतंत्र भारत का बस यही उद्देश्य है।

भारत का भविष्य बदलने के लिये, बच्चों को बचाओ, महिलाओं को बचाओ।

स्वच्छ भारत, विकसित भारत, वास्तव में एक अविश्वसनीय भारत हो जाएगा।

चलो, 67वें स्वतंत्रता दिवस पर असली नायकों को सलाम करें।

भारत हमारा घर है; चलो, इसे अपने युवाओं के लिये इसे स्वच्छ और हरा भारत बनायें।
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गणतंत्र दिवस -काही भाषणे,इंग्रजी ,मराठी व हिंदी.
इंग्रजी भाषण
*We are all proud citizens of India. 26th January is celebrated as Republic Day in India every year. On this day in 1950, India becomes a Democratic Republic. Celebrations are held every year on this day throughout the country.
On 26th January, 1950, the Constitution of India came into force and made India a Democratic Republic country. The people of our country rule themselves and all are equal and free. The government is ruled by candidates selected by the people of our country.
The Constitution of India was drafted by Dr. B.R. Ambedkar which helped to replace the existing Government of India Act, 1935. The Constitution of India which was drafted by Dr. B.R. Ambedkar was actually passed on 26th November, 1949.
Hence, India becomes a sovereign, socialist, secular and democratic republic on 26th January, 1950. But the word ‘socialist’ and ‘secular’ was previously not present in the constitution. It was added in its 42nd amendment in 1976.
The fundamental rights and duties of the people of the Republic in India have been laid down in our constitution. Every citizen of India is equal in the eye of law, and no one is to suffer because of religion, creed, caste, colour or race.
During the British Rule, two great personalities such as Mahatma Gandhi and Rabindranath Tagore gave the same message of peace, love, unity and equality
Dr. Rajendra Prasad, the first President of the Indian Republic, had asked us to think more of our duties than of our rights. Jawaharlal Nehru, our first Prime Minister too, has again given us the same message.
The people of India celebrate Republic Daywith proud and honour. This is also a day of reunion. The People celebrate this day with the whole family. People wear new clothes and start the day with the National Song of India.
In most organizations, clubs, institutions, parades are organized where people wear white clothes with Tri-colour in their hands and march to some specified areas. Patriotic songs are sung everywhere.
The celebrations in the capital (New Delhi) are the most stunning with parade and cultural pageant by different states.
Republic Day is an official holiday and all the schools and colleges celebrate this day by organizing a little program and finally a parade of all boys and girls. They all march inside the campus of the schools and colleges and feel proud to be an Indian. Many people celebrate this day with their friends and loved ones.
Let us make a great promise that we would be live together in peace and happiness as the people of the same nation.
हिंदी भाषण
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अपने राष्ट्र के बेहद खास अवसर पर हम सभी यहाँ इकट्ठा हुये हैं जिसे गणतंत्र दिवस कहते हैं। मैं आप सबके सामने गणतंत्र दिवस पर भाषण पढ़ना चाहता हूं। सबसे पहले मैं अपने क्लास टीचर का धन्यवाद देना चाहूंगा जिनकी वजह से मुझे अपने स्कूल के इस मंच पर गणतंत्र दिवस के इस महान अवसर पर मेरे प्यारे देश के बारे में कुछ कहने का सुनहरा मौका प्राप्त हुआ।
15 अगस्त 1947 से ही भारत एक स्व-शासित देश है। 1947 में 15 अगस्त को ब्रिटिश शासन से भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई जिसे हम स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाते हैं। हालांकि, 1950 से 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं। भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 में लागू हुआ, इसलिये हम इस दिन को हर साल गणतंत्र दिवस के रुप में मनाते हैं। 2015 में इस वर्ष, हम भारत का 66वां गणतंत्र दिवस मना रहें हैं।
गणतंत्र का अर्थ है देश में रहने वाले लोगों की सर्वोच्च शक्ति और सही दिशा में देश के नेतृत्व के लिये राजनीतिक नेता के रुप में अपने प्रतिनीधि चुनने के लिये केवल जनता के पास अधिकार है। इसलिये, भारत एक गणतंत्र देश है जहाँ जनता अपना नेता प्रधानमंत्री के रुप में चुनती है। भारत में “पूर्ण स्वराज” के लिये हमारे महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने बहुत संघर्ष किया। उन्होंने अपने प्राणों की आहूति दी जिससे उनके आने वाली पीढ़ी को कोई संघर्ष न करना पड़े और वो देश को आगे लेकर जाएँ।
हमारे देश के महान नेता और स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गाँधी, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, लाला लाजपत राय, सरदार बल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री आदि हैं। भारत को एक आजाद देश बनाने के लिये इन लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ़ लगातार लड़ाई की। अपने देश के लिये हम इनके समर्पण को कभी नहीं भूल सकते हैं। हमें ऐसे महान अवसरों पर इन्हें याद करते हुये सलामी देनी चाहिये। केवल इन लोगों की वजह से ये मुमकिन हुआ कि हम अपने दिमाग से सोच सकते हैं और बिना किसी दबाव के अपने राष्ट्र में मुक्त होकर रह सकते हैं।
हमारे पहले भारतीय राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद थे जिन्होंने कहा था कि, “एक संविधान और एक संघ के क्षेत्राधिकार के तहत हमने इस विशाल भूमि के संपूर्ण भाग को एक साथ प्राप्त किया है जो यहाँ रहने वाले 320 करोड़ पुरुष और महिलाओं से ज़्यादा के लोक-कल्याण के लिये जिम्मेदारी लेता है”। कितने शर्म से ये कहना पड़ रहा है कि हम अभी भी अपने देश में अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा (आतंकवाद, बलात्कार, चोरी, दंगे, हड़ताल आदि के रुप में) से लड़ रहें हैं। फिर से, ऐसी गुलामी से देश को बचाने के लिये सभी को एक-साथ होने की ज़रुरत है क्योंकि ये विकास और प्रगति के इसके मुख्य धारा में जाने से अपने देश को पीछे खींच रहा है। आगे बढ़कर इन्हें सुलझाने के लिये हमें अपने सामाजिक मुद्दों जैसे गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, ग्लोबल वार्मिंग, असमानता आदि से अवगत रहना चाहिये।
डॉ अब्दुल कलाम ने कहा है कि “अगर एक देश भ्रष्ट्राचार मुक्त होता है और सुंदर मस्तिष्क का एक राष्ट्र बनता है, मैं दृढ़ता से महसूस करता हूं कि तीन प्रधान सदस्य हैं जो अंतर पैदा कर सकते हैं। वो पिता, माता और एक गुरु हैं”। भारत के एक नागरिक के रुप में हमें इसके बारे में गंभीरता से सोचना चाहिये और अपने देश को आगे बढ़ाने के लिये सभी मुमकिन प्रयास करना चाहिये।
धन्यवाद, जय हिन्द।
मराठी भाषण
देशाने संविधानाचा स्वीकार करून लोकशाहीतील एका नव्या पर्वाची सुरुवात केली होती तो दिवस प्रजासत्ताक दिन म्हणून साजरा केला जातो.
.भारतीय प्रजासत्ताक दिवस हा भारताच्या प्रजासत्ताकात दरवर्षी २६ जानेवारी या दिवशी पाळला जाणारा राष्ट्रीय दिन आहे. भारताची राज्यघटना संविधान समितीने २६ नोव्हेंबर, इ.स. १९४९ रोजी स्वीकारली व ती २६ जानेवारी इ.स. १९५० रोजी अंमलात आली. जवाहरलाल नेहरूंनी २६ जानेवारी इ.स. १९३० रोजी लाहोर अधिवेशनात तिरंगा फडकावून पूर्ण स्वराज्याची घोषणा केली होती. त्याची आठवण म्हणून २६ जानेवारी हा दिवस राज्यघटना अंमला आणण्यासाठी निवडण्यात आला.
आपण ज्याप्रमाणे धार्मिक सणवार उत्सव हे मोठ्या आनंदाने, कौतुकाने उत्साहाने साजरे करतो. त्या प्रमाणेच संपूर्ण भारतवासी काही राष्ट्रीय सण उत्सव सुद्धा साजरे करतो. त्यातील एक राष्ट्रीय सण म्हणजे दरवर्षी साजरा होणारा ‘प्रजासत्ताक दिन’ आपला भारत देश प्रजासत्ताक दिन साजरा करतो तो २६ जानेवारीला.
हा दिवस शाळा कॉलेजातून सरकारी-निमसरकारी कार्यालयातून, सोसायट्या, चौकांतून झेंडावंदन करून साजरा केला जातो. तिरंगी झेंडा हा देशाचा राष्ट्रध्वज आहे. मान्यवर व्यक्ती निवृत्त अधिकारी नेते मंडळी ह्यांच्या हस्ते हे ध्वजवंदन केले जाते. शाळा कॉलेजपासून कवायती. भाषणे विविध कार्यक्रम केले जातात. लहान मुले हातात झेंडे घेऊन नाचतात. राष्ट्रध्वज गौरवाने छातीवर लावला जातो.
१५ ऑगस्ट १९४७ साली भारताला स्वातंत्र्य मिळाले. परवशतेचे पाश तुटले… आणि स्वतंत्र भारताच्या पुढील योजना काय असतील, देश कोणत्या वाटेनं वाटचाल करेल. लोकांच्या कल्याणाच्या कोणत्या योजना राबवल्या जातील हे सारं ठरवण्यासाठी तत्कालीन नेते, पुढारी सुपुत्र ह्यांनी आपल्या देशाची एक राज्यघटना बनवली. ह्या राज्य घटनेची आखणी मांडणी करण्यासाठी एक समिती नेमली होती. त्या समितीचे अध्यक्ष होते. डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर. स्वतंत्र भारताच्या राज्य घटनेचे शिल्पकार हा बहुमान त्यांना आम जनतेने बहाल केला आहे.
दरवर्षी २६ जानेवारीला लालकिल्ल्यावरून भारताचे पंतप्रधान राष्ट्राला उद्देशून भाषण करतात. त्यात गतवर्षाचा आढावा घेत नववर्षाच्या नव योजना जाहीर केल्या जातात. देखणं संचलनही सादर केले जाते. स्वातंत्र्यासाठी बलीदान दिलेल्या राष्ट्रवीरांना आदरांजली वाहिली जाते. हा राष्ट्रीय सण प्रत्येक भारतवासीय मोठा अभिमानाने आणि आनंदाने साजरा करतो.
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गणतंत्र दिवस पार कुछ कविताए
आओ तिरंगा फहराये
आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये;
अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।
अपना 67वाँ गणतंत्र दिवस खुशी से मनायेगे;
देश पर कुर्बान हुये शहीदों पर श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे।
26 जनवरी 1950 को अपना गणतंत्र लागू हुआ था,
भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने झंड़ा फहराया था,
मुख्य अतिथि के रुप में सुकारनो को बुलाया था,
थे जो इंडोनेशियन राष्ट्रपति, भारत के भी थे हितैषी,
था वो ऐतिहासिक पल हमारा, जिससे गौरवान्वित था भारत सारा।
विश्व के सबसे बड़े संविधान का खिताब हमने पाया है,
पूरे विश्व में लोकतंत्र का डंका हमने बजाया है।
इसमें बताये नियमों को अपने जीवन में अपनाये,
थाम एक दूसरे का हाथ आगे-आगे कदम बढ़ाये,
आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये,
अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।
**********************************************
देखो 26 जनवरी आयी
देखो 26 जनवरी है आयी, गणतंत्र की सौगात है लायी।
अधिकार दिये हैं इसने अनमोल, जीवन में बढ़ सके बिन अवरोध।
हर साल 26 जनवरी को होता है वार्षिक आयोजन,
लाला किले पर होता है जब प्रधानमंत्री का भाषन,
नयी उम्मीद और नये पैगाम से, करते है देश का अभिभादन,
अमर जवान ज्योति, इंडिया गेट पर अर्पित करते श्रद्धा सुमन,
2 मिनट के मौन धारण से होता शहीदों को शत-शत नमन।
सौगातो की सौगात है, गणतंत्र हमारा महान है,
आकार में विशाल है, हर सवाल का जवाब है,
संविधान इसका संचालक है, हम सब का वो पालक है,
लोकतंत्र जिसकी पहचान है, हम सबकी ये शान है,
गणतंत्र हमारा महान है, गणतंत्र हमारा महान है।
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गणतंत्र भारत का निर्माण
हम गणतंत्र भारत के निवासी, करते अपनी मनमानी।
दुनिया की कोई फिक्र नहीं, संविधान है करता पहरेदारी।।
है इतिहास इसका बहुत पुराना, संघर्षों का था वो जमाना;
न थी कुछ करने की आजादी, चारों तरफ हो रही थी बस देश की बर्बादी,
एक तरफ विदेशी हमलों की मार,
दूसरी तरफ दे रहे थे कुछ अपने ही अपनो को घात,
पर आजादी के परवानों ने हार नहीं मानी थी,
विदेशियों से देश को आजाद कराने की जिद्द ठानी थी,
एक के एक बाद किये विदेशी शासकों पर घात,
छोड़ दी अपनी जान की परवाह, बस आजाद होने की थी आखिरी आस।
1857 की क्रान्ति आजादी के संघर्ष की पहली कहानी थी,
जो मेरठ, कानपुर, बरेली, झांसी, दिल्ली और अवध में लगी चिंगारी थी,
जिसकी नायिका झांसी की रानी आजादी की दिवानी थी,
देश भक्ति के रंग में रंगी वो एक मस्तानी थी,
जिसने देश हित के लिये स्वंय को बलिदान करने की ठानी थी,
उसके साहस और संगठन के नेतृत्व ने अंग्रेजों की नींद उड़ायी थी,
हरा दिया उसे षडयंत्र रचकर, कूटनीति का भंयकर जाल बुनकर,
मर गयी वो पर मरकर भी अमर हो गयी,
अपने बलिदान के बाद भी अंग्रेजों में खौफ छोड़ गयी,
उसकी शहादत ने हजारों देशवासियों को नींद से उठाया था,
अंग्रेजी शासन के खिलाफ एक नयी सेना के निर्माण को बढ़ाया था,
फिर तो शुरु हो गया अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष का सिलसिला,
एक के बाद एक बनता गया वीरों का काफिला,
वो वीर मौत के खौफ से न भय खाते थे,
अंग्रेजों को सीधे मैदान में धूल चटाते थे,
ईट का जवाब पत्थर से देना उनको आता था,
अंग्रेजों के बुने हुये जाल में उन्हीं को फसाना बखूबी आता था,
खोल दिया अंग्रेजों से संघर्ष का दो तरफा मोर्चा,
1885 में कर डाली कांग्रेस की स्थापना,
लाला लाजपत राय, तिलक और विपिन चन्द्र पाल,
घोष, बोस जैसे अध्यक्षों ने की जिसकी अध्यक्षता,
इन देशभक्तों ने अपनी चतुराई से अंग्रेजों को राजनीति में उलझाया था,
उन्हीं के दाव-पेचों से अपनी माँगों को मनवाया था,
सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग को गाँधी ने अपनाया था,
कांग्रेस के माध्यम से ही उन्होंने जन समर्थन जुटाया था,
दूसरी तरफ क्रान्तिकारियों ने भी अपना मोर्चा लगाया था,
बिस्मिल, अशफाक, आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे,
क्रान्तिकारियों से देशवासियों का परिचय कराया था,
अपना सर्वस्व इन्होंने देश पर लुटाया था,
तब जाकर 1947 में हमने आजादी को पाया था,
एक बहुत बड़ी कीमत चुकायी है हमने इस आजादी की खातिर,
न जाने कितने वीरों ने जान गवाई थी देश प्रेम की खातिर,
निभा गये वो अपना फर्ज देकर अपनी जाने,
निभाये हम भी अपना फर्ज आओ आजादी को पहचाने,
देश प्रेम में डूबे वो, न हिन्दू, न मुस्लिम थे,
वो भारत के वासी भारत माँ के बेटे थे,
उन्हीं की तरह देश की शरहद पर हरेक सैनिक अपना फर्ज निभाता है,
कर्तव्य के रास्ते पर खुद को शहीद कर जाता है,
आओ हम भी देश के सभ्य नागरिक बने,
हिन्दू, मुस्लिम, सब छोड़कर, मिलजुलकर आगे बढ़े,
जातिवाद, क्षेत्रवाद, आतंकवाद, ये देश में फैली बुराई है,
जिन्हें किसी और ने नहीं देश के नेताओं ने फैलाई है
अपनी कमियों को छिपाने को देश को भ्रमाया है,
जातिवाद के चक्र में हम सब को उलझाया है,
अभी समय है इस भ्रम को तोड़ जाने का,
सबकुछ छोड़ भारतीय बन देश विकास को करने का,
यदि फसे रहे जातिवाद में, तो पिछड़कर रह जायेंगे संसार में,
अभी समय है उठ जाओं वरना पछताते रह जाओगें,
समय निकल जाने पर हाथ मलते रह जाओगे,
भेदभाव को पीछे छोड़ सब हिन्दुस्तानी बन जाये,
इस गणतंत्र दिवस पर मिलजुलकर तिरंगा लहराये।।
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26 जानेवारी पर्यंत सागडी कडे पाठवा

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