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संविधान दिवस

संविधान दिवस
भारत में 26 नवम्बर को हर साल संविधान दिवस मनाया जाता है, क्योंकि वर्ष 1949 में 26 नवम्बर को संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान को स्वीकृत किया गया था जो 26 जनवरी 1950 को प्रभाव में आया। डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के संविधान का जनक कहा जाता है। भारत की आजादी के बाद काग्रेस सरकार ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत के प्रथम कानून मंत्री के रुप में सेवा करने का निमंत्रण दिया। उन्हें 29 अगस्त को संविधान की प्रारुप समिति का अध्यक्ष बनाया गया। वह भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे और उन्हें मजबूत और एकजुट भारत के लिए जाना जाता है।
जब भारत के संविधान को अपनाया गया था तब भारत के नागरिकों ने शांति, शिष्टता और प्रगति के साथ एक नए संवैधानिक, वैज्ञानिक, स्वराज्य और आधुनिक भारत में प्रवेश किया था। भारत का संविधान पूरी दुनिया में बहुत अनोखा है और संविधान सभा द्वारा पारित करने में लगभग 2 साल, 11 महीने और 17 दिन का समय ले लिया गया।भारतीय संविधान का पहला वर्णन ग्रानविले ऑस्टिन ने सामाजिक क्रांति को प्राप्त करने के लिये बताया था। भारतीय संविधान के प्रति बाबा साहेब अम्बेडकर का स्थायी योगदान भारत के सभी नागरिकों के लिए एक बहुत मददगार है। भारतीय संविधान देश को एक स्वतंत्र कम्युनिस्ट, धर्मनिरपेक्ष स्वायत्त और गणतंत्र भारतीय नागरिकों को सुरक्षित करने के लिए, न्याय, समानता, स्वतंत्रता और संघ के रूप में गठन करने के लिए अपनाया गया था।
भारतीय संविधान की विशेषताओं में से कुछ निम्नलिखित हैं:
  • यह लिखित और विस्तृत है।
  • यह लोकतांत्रिक सरकार है – निर्वाचित सदस्य।
  • मौलिक अधिकार,
  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता, यात्रा, रहने, भाषण, धर्म, शिक्षा आदि की स्वतंत्रता,
  • एकल राष्ट्रीयता,
  • भारतीय संविधान लचीला और गैर लचीला दोनों है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर जाति व्यवस्था का उन्मूलन।
  • समान नागरिक संहिता और आधिकारिक भाषाएं,
  • केंद्र एक बौद्ध ‘Ganrajya’ के समान है,
  • बुद्ध और बौद्ध अनुष्ठान का प्रभाव,
  • भारतीय संविधान अधिनियम में आने के बाद, भारत में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला है।
  • दुनिया भर में विभिन्न देशों ने भारतीय संविधान को अपनाया है।
  • पड़ोसी देशों में से एक भूटान ने भी भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली को स्वीकार कर लिया है।

हम संविधान दिवस को क्यों मनाते है

भारत में संविधान दिवस 26 नवंबर को हर साल सरकारी तौर पर मनाया जाने वाला कार्यक्रम है जो संविधान के जनक डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर को याद और सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। भारत के लोग अपना संविधान शुरू करने के बाद अपना इतिहास, स्वतंत्रता, स्वतंत्रता और शांति का जश्न मनाते है।
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हिंदी भाषण :
आने वाली 26 जनवरी ‘संविधान दिवस’ पर बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित:
सब बाधाओ को लाँगकर जब बाबा साहेब संविधान सभा का सदस्यता चुनाव जीत गये तब उनकी प्रतिभा को देखकर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर को बताया कि उन्हें संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्‍यक्ष बनाया गया है और कहा कि संविधान बहुत आसान व अच्‍छा बने तब डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर ने कहा ”आपकी आज्ञा का पालन होगा, राष्‍ट्रपति महोदय” !
संविधान निर्मात्री समिति में सात सदस्‍य थे । उनमें से अचानक एक की मृत्‍यु हो गई । एक सदस्‍य अमेरिका में जाकर रहने लगे और एक सदस्‍य ऐसे जिनको सरकारी काम काज से ही अवकाश नहीं मिल पाया था । इनके अतिरिक्‍त दो सदस्‍य ऐसे थे जो अपना स्‍वास्‍थय ठीक न रहने के कारण वे सदा दिल्‍ली से बाहर रहते थे । इस प्रकार संविधान निर्मात्री समिति के पाँच ऐसे थे जो समिति के कार्यों में सहयोग नहीं दे पाये थे ।
डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर ही एक ऐसे सदस्‍य थे, जिन्‍होंने अपने कंधों पर ही संविधान निर्माण का कार्यभार संभाला था । जब संविधान बन गया तब एक-एक प्रति डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद एवं पंडित जवाहर लाल नेहरू को दी । उन्‍हें संविधान, सरल अच्‍छा लगा । सभी लोग डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर की तारीफ करने लगे व बधाईयाँ दी गई । एक सभा का आयोजन किया गया । जिसमें डा. राजेन्‍द्र प्रसाद ने कहा- ”डा. भीमराव अम्‍बेडकर अस्‍वस्‍थ थे, फिर भी बड़ी लगन, मन व मेहनत से काम किया । वे सचमुच बधाई के पात्र हैं । ऐसा संविधान शायद दूसरा कोई नहीं बना पाता, हम इनके आभारी रहेंगे ।”
पंडित नेहरू ने अपने भाषण में काहा ”डा. भीमराव अम्‍बेडकर संविधान के शिल्‍पकार हैं, नया संविधान इनकी देन है । इतिहास में इनका नाम स्‍वर्ण-अक्षरों में लिखा जावेगा । वे महापुरूष हैं । जब तक भारत का नाम रहेगा, तब तक अम्‍बेडकर का नाम भी भारतीय संविधान में हमेशा जुड़ा रहेगा ।”
26 जनवरी सन् 1950 के दिन यह नया संविधान भारतीय जनता पर लागू किया गया । उस दिन गणतंत्र दिवस का समारोह मनाया गया । वही संविधान आज भी लागू है ।
संविधान निर्माण की झलकिया :
1. संविधान प्रारूप समिति की बैठकें 114 दिन तक चली ।
2. संविधान निर्माण में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा ।
3. संविधान निर्माण कार्य पर कुल 63 लाख 96 हजार 729 रूपये का खर्च आया ।
4. संविधान के निर्माण कार्य में कुल 7635 सूचनाओं पर चर्चा की गई ।
5. 26 जनवरी 1950 केा भारत का संविधान लागू होने के बाद से अब तक हुए अनेक संशोधनों के बाद भारतीय संविधान में 440 से भी अधिक अनुच्‍छेद व 12 प्रविशिष्‍ट हो चुके हैं ।
” तेरी जय हो भीम महान, बना दिया भारत का संविधान । ”
भारत का संविधान 26Nov 1949 में स्वीकार किया गया। संविधान के मायने क्या होते है, शायद उस समय भारत के लोगो को यह पता नहीं था। लेकिन दुनिया में संविधान का महत्व स्थापित हो चुका था। अमेरिका में 1779 में संविधान बन चुका था। हालांकि UK में उस तरह का संविधान नहीं है लेकिन वंहा MAGNA CARTA जैसी संवैधानिक अधिकारों की व्यवस्था कायम हो चुकी थी जिसके तहत राजा ने अपनी जनता की साथ अपने अधिकारों को बाट लिया था। वंहा अब तक इसी तरह कई settlement से बनी व्यवस्था कायम है और 15 जून 2015 को उसके (MAGNA CARTA) के 800साल होने वाले है।
संविधान असल में समूह में बंटे लोग जो राष्ट्र बनना चाहते है, को मानवीय अथिकार दिलाता है।इसके तहत लोगो के लिए स्वतंत्रता ,बंधुता ,समानता और न्याय के लिए व्यवस्था का निर्माण किया जाता है। यह सभी मनुष्यों को समान अधिकार भी देता है और इनके बीच भेदभाव को अपराध भी घोषित करता है।
1950 के बाद विश्व के लगभग ५० देशो ने अपना संविधान बनाया जिसमे भारत उनमे से पहले स्थान पर है और भारत का संविधान ही अन्य देशो के लिए प्रेरणा बना।हालांकि यंहा यह भी साफ़ कर देना होगा कि भारत की “आज़ादी का आन्दोलन” और ” भारत के संविधान” का आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है , दोनों ही अलग अलग घटनाएं है। जब सन१९२८ में simon commission भारत आया तो उस समय constitutional settlement की बात उठी। अंग्रेजो ने यह तय करना जरूरी समझा कि भारत कोब्सत्ता के हस्तांतरण के बाद भारत में लोकतान्त्रिक व्यवस्था ही लागू हो और इस पूरी प्रक्रिया में बाबा साहेब डॉ आंबेडकर की भूमिका प्रमुख रही।अगर हम बाबा. साहेब के सम्पूर्ण जीवन को देखे तो यह साफ़ हो जाएगा कि वे कोंस्टीटूशनल सेटलमेंट को लेकर कितने गंभीर थे। उनका मानना था कि देश मे सामाजिक क्रांति तभी स्थाई होगी जब संवैधानिक गारंटी होगी। वह संविधान के जरिये देश में समानता स्थापित करना चाहते थे। वह चाहते थे भारत में असमानता ख़त्म हो और समानता आये और लोगो को उनका fundamental right मिले। संवैधनिक तौर पर भारत में जाति और वर्णजैसी व्यवस्था और मनुस्मृति के तहत बनाये गये क़ानून का खत्म होने का वक़्त आ गया था।
ज्योतिबा फुले ,शाहुजी महाराज, गाड़गे बाबा, नारायण गुरु , पेरियार और बाबासाहब डॉ आंबेडकर के माध्यम से जो सामाजिक क्रांति आई थी , उसे एक पहचान चाहिए थी। इसके लिए भारत में एक संविधान की जरूरत थी, हालांकि यंह यह कहना ज्यादा सही होगा कि भारत में राजनैतिक क्रांति की बजाय सामाजिक क्रांति की वजह से संविधान बना है। क्योंकि जो लोग राजनैतिक क्रांति में सक्रीय थे वो नहीं चाहते थे कि भारत में संविधान हो । वह बिना संविधान के ही देश भारत देश को चलाना चाहते थे। लेकिन भारत में सामाजिक क्रांति के कारण इतने ज्यादा मजबूत थे कि राजनैतिक लोग चाह कर भी संविधान निर्माण रोक नहीं पाए। डॉ आंबेडकर जी के लगातार सक्रिय रहने के कारण अंग्रेज लोग भी भारत में मौजूद असमानताओ को समझ चुके थे और वे आंबेडकर तथा संविधान के पक्ष में थे। इस तरह से भारत में संविधान बनने की प्रक्रिया पर मोहर लगी। इन सारी चीजो की वजह से 9Aug 1946 को 296
सदस्यों की संविधान सभा बनी। देश का विभाजन होने के कारण इसमें से 89 सदस्य चले गय। इस तरह भारतीय संविधान सभा में 207सदस्य बचे और इनकी पहली बैठक में सिर्फ 207 सदस्य ही उपस्थित थे इसमें से बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर   पहली बार ९ dec1946 को बंगाल से चुनकर आये (मुश्लिम वोट द्वारा) और इसके तुरंत बाद विभाजन हो गया जिसके बाद बाबा साहेब जिस संविधान परिषद की सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे उसे पाकिस्तान को दे दिया गया। इस तरह से बाबा साहेब का निर्वाचन रद्द हो गया। विभाजन की साजिश  इसलिए भी रची गई ताकि डॉ अम्बेडकर संविधान सभा में नहीं रह पाए।हालांकि इन सभी साज़िशो को दरकिनार करते हुए बाबा साहेब दुबारा 14जुलाई1947 को चुनकर आये।
  ‘अब डॉ अम्बेडकर दुबारा कैसे चुने गए? ‘
असल में डा आंबेडकर जब पहली बार संविधान सभा में चुन कर आये और विभाजन के बाद अपने निर्वाचन क्षेत्र के पाकिस्तान में चले जाने के कारण  विधान सभा का हिस्सा नहीं रहे, उस वक़्त यूनाइटेड किंगडम की पार्लियामेंट में Indian Constitution असेंबली का बहुत कड़ा विरोध हुआ और विरोध को दबाने के लिए नेहरु को UK के नेताओं को समझाने के लिए ब्रटेन जाना पड़ा था। इस विरोध की गंभीरता को इससे समझा जा सकता है कि कद्दावर नेता ‘चर्चिल’ ने यंहां तक कह दिया कि भारतीय लोग संविधान बनाने लायक नहीं है। इन लोगो को आज़ादी देना ठीक नहीं होगा। दरी बात Britishiors अल्पसंख्यको के हितो को लेकर काफी गंभीर थे। तात्कालिक स्थिति मेंUK पार्लियामेंट का कहना था कि अगर भारत में constitutional settlement होता है तो इसमें अल्पसंख्यको के हितो की गारंटी नहीं होगी, क्योंकि बाबा साहेब का कहना था कि इस पूरी प्रक्रिया में SC और ST नहीं है खासतौर से अछूत हिन्दू नहीं है। बाबा साहेब ने इसको साबित करते हुए SC-ST के लिए seperate safegaurd की बात कही थी। बाबा साहेब की इस बात पर UK के पार्लियामेंट में लम्बी बहस हुई थी। इस बहस से ये स्थिति पैदा हो गई थी कि अगर भारत में अधिकार के आधार पर, बराबरी के आधार पर अल्पसंख्यको (इसमें sc -st भी थे) के अधिकारो का सेटलमेंट नहीं होगा तो भारत का संविधान नहीं बन पायेगा और इसे वैधता नहीं मिलेगी और अगर संविधान नहीं बनेगा तो भारत को आज़ादी नहीं मिलेगी। ऐसी स्थिति में बाबा साहेब को चुनकर लाना कांग्रेस और पुरे देश की मजबूरी हो गई और इस प्रकार बाबा साहेब संविधान निर्माता के रूप में संघर्षरत रहे।बाबा साहेब अगर UK की constitutional assembly में नहीं होते तो अछूतो के अधिकारों का संवैधानिक सेटलमेंट होने की बात नहीं मानी जाती और इससे भारत के संविधान को मान्यता नहीं मिलती।
जिस सामाजिक क्रांति की बदौलत भारत के संविधान का निर्माण हुआ, उसमे शाहुजी महाराज, ज्योतिबा फुले,नारायण गुरु और बाबा साहेब आम्बेडकर का बहुत बड़ा योगदान था । इन तमाम महापुरुषों के संघर्षो के बाद बाबा साहेब आम्बेडकर के जरिये भारत में जो सामाजिक क्रांति आई वह एकमात्र कारण है जिससे भारत कइ समविधान का निर्माण हुआ। यह नहीं होता और संविधान नहीं होता तो लोगो के मूलभूत अधिकारों की गारंटी भी न होती। यानी बोलने की, लिखने की, अपनी मर्ज़ी से पेश चुनने की ,संगठन खड़ा करने की, मीडिया चलाने की आज़ादी नहीं होती। जातिगत भेदभाव को गलत नहीं माना जाता , छुवाछुत को कानून में अपराध घोषित नहीं किया जाता, स्त्री स्वतंत्रता की बात कौन करता। भारतीय संविधान का इतिहास Granville Austin ने एक किताब लिखी है जिसमे उन्होंने Dr आंबेडकर को  भारतीय संविधान सभा का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति माना है। भारतीय संविधान एक बहुत लम्बी प्रक्रिया के बाद बना। 30 Aug 1947 को इसकी पहली बैठक हुई। संविधान बनाने के लिए constituent assembly को 141 दिन काम करना पडा। सुरुवाती दौर में इसमें 315article पर विचार किया गया, 13 आर्टिकल schedule किया।
इसमे 7635 संसोधनो का प्रस्ताव किया गया था, जिसमे2473 संसोधन सभा में लाये गए। 395 आर्टिकल और 8 schedule के साथ भारत के लोगो ने भारत के संविधान को अपने प्रिय मुक्तिदाता डॉ आंबेडकर के जरिये 26Nov1949 को भारत के सुपुर्द किया। आज भारत के संविधान में 448आर्टिकल है। असल में नम्बरों के हिसाब से यह आज भी 395 ही है लेकिन बीच में (1) (2) या (a) (b) के जरिये बढता गया। इसके 22 भाग 12 schedule है। संविधान बनने के बाद अब तक संसद के सामने 120 संसोधन लाये गए है लेकिन इनमे 98 संसोधन ही स्वीकारे गए।
अगर अन्य देशो की तुलना करे तो England के लोगो को भी अधिकार टुकडो में मिला इंग्लैंड की महिलायो को voting का अधिकार 1920 में मिला। इसी तरह अमेरिका का संविधान 1779 में ही बन गया था लेकिन वंहां के संविधान में black लोगो को नागरिकता नहीं थी। 1865 में जब संविधान में 13वा संसोधन लाया गया तब अमेरिका के black लोगो को नागरिकता मिली। यंहां यह बताना जरूरी है कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 1857 में काले लोगो को dred scoutt केस में अमेरिकी नागरिक मानने से इनकार कर दिया तब Abrahm Lincon ने 1865 में 13वा संसोधन लेकर आये और काले लोगो को नागरिकता का अधिकार दिया। जबकि भारत में संविधान में पहली ही बार में यह घोसीत कर दिया गया कि सभी मनुष्य समानहै। जाति , धर्म, वर्ग,वर्ण, जन्म ,स्थान आदि से परे देश के सभी मनुष्य सामान हैऐसा संविधान में लिखा है और सव्को एक सूत्र में पिरोते हुए सभी को भारतीय माना है और ‘हिन्दुस्तान’ शब्द को मिटा दिया।
2500 सालो का इतिहास जो गुलामी का इतिहास था जो ब्राह्मणी मनुस्मृति जो ब्राह्मणों का संविधान था उसे बाबा साहेब ने 25dec1927 को जलाया था और 26nov1949 को नया संविधान स्थापित किया जो समानता,स्वतंत्रता और बंधुता पर आधारित है। इसकी सुरक्षा हमारा प्रथम कर्तव्य हैऔर ब्राह्मणों की तीखी नज़र इस पर है वे इसे ख़त्म कर फिर से मनुस्मृति की कल्पना करते है और कर रहे है। इस देश में जो शासक बनने का सपना तक नहीं देख पाते थे आज वे इस संविधान के अधिकार द्वारा राजा बन रहे। जिस देश में रानी के पेट से राजा बनते थे उस देश में अब संविधान से राजा बनने लगे। इस तरह देश को नई दिशा मिली।
25Nov 1949 को बाबा साहेब ने संविधान सभा में भाषण देते हुए कहा था कि संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो वह अपने आप लागू नहीं होता है, उसे लागू करना पडता है। ऐसे में जिन लोगो के ऊपर संविधान लागो करने की जिम्मेदारी होती है, यह उन पर निर्भर करता है कि वो संविधान को कितनी इमानदारी और प्रभावी ढंग से लागू करते है। इस लेख को जितनी मेहनत से लिखा गया उससे कंही ज्यादा मन से आपने पड़ा और संविधान को आपने सम्मान दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
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